होटल इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव: नए तरीके, नई शुरुआत

होटल इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव: नए तरीके, नई शुरुआत

होटल इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव: नए तरीके, नई शुरुआत
भारत की होटल और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री महामारी के बाद तेजी से बदल रही है, जहां तकनीक, घरेलू पर्यटन और नए बिज़नेस मॉडल इसकी नई पहचान बना रहे हैं।

भारत और दुनिया की होटल इंडस्ट्री तेजी से बदल रही है। 2024 से 2030 के बीच यह सेक्टर करीब 9.4% CAGR की दर से बढ़ रहा है। महामारी के बाद यह साफ दिखा कि हॉस्पिटैलिटी सिर्फ रिकवर नहीं कर रही—बल्कि पूरी तरह नए तरीके से खुद को बदल रही है। आर्थिक सुधार, घरेलू यात्रा की बढ़ती आदत और नए बिज़नेस मॉडल इस बदलाव को आगे बढ़ा रहे हैं।

क्लेरिसा होटल्स एंड रिसॉर्ट्स (Clarissa Hotels & Resorts) के सीईओ हर्षल दिलवाली के अनुसार, महामारी ने होटल इंडस्ट्री को एकदम नई दिशा दी। जब अंतरराष्ट्रीय पर्यटक रुक गए, तो घरेलू टूरिज़्म में जबरदस्त उछाल आया। लोगों ने देश के भीतर नई जगहों को घूमना शुरू किया। इस समय Clarissa Hotels ने तकनीक का उपयोग बढ़ाकर वेब चेक-इन, ऑनलाइन बिलिंग और रूम सेलेक्शन जैसी सुविधाएँ दीं, जो उस समय बड़ी इनोवेशन मानी गईं।

कामत ग्रुप ऑफ होटल्स (Kamat Group of Hotels)  के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर विशाल विठ्ठल कामत बताते हैं कि महामारी ने हॉस्पिटैलिटी को रोका नहीं, बल्कि आगे बढ़ाया। इस दौरान घर से काम करने वाले लोग जैसे होम बेकर्स, होम शेफ और छोटे फूड ब्रांड धीरे-धीरे लोकप्रिय रेस्टोरेंट और डाइनिंग स्पेस में बदल गए। ग्राहक भी अब नए स्वाद, नए अनुभव और नॉन-ब्रांडेड जगहों को अपनाने लगे हैं। इससे हॉस्पिटैलिटी का पूरा परिदृश्य बदल गया है।

केटरिंग इंडस्ट्री में भी बड़ा बदलाव आया। Curated Catering by Design के फाउंडर मयंक प्रसाद का कहना है कि आज ग्राहकों की उम्मीदें पहले से कई गुना ज्यादा हैं। हाई-एंड क्लाइंट अब कस्टम मेन्यू, क्षेत्रीय खाने के लाइव स्टेशन और ऑथेंटिक अंतरराष्ट्रीय व्यंजन चाहते हैं। ग्राहक अब जानकार हैं और जानते हैं कि खाना कैसा होना चाहिए इससे इंडस्ट्री में क्वालीटी और इनोवेशन की आवश्यकता बढ़ गई है।

होटल्स और स्टैंडअलोन रेस्टोरेंट के बीच भी पावर बैलेंस बदला है। स्टैंडअलोन रेस्टोरेंट पर 5% GST लगता है, जबकि होटल्स पर 18%, जिससे होटल महंगे लगते हैं। मॉल्स आज मिनी फाइव-स्टार की तरह बने हुए हैं—जहां स्पा, शॉपिंग और प्रीमियम डाइनिंग एक साथ मिलती है। इसके बावजूद, होटल्स के पास मजबूत लॉयल्टी प्रोग्राम हैं, जो ग्राहकों को बार-बार लौटने के लिए प्रेरित करते हैं।

होटल और बाहरी रेस्टोरेंट ब्रांड के बीच सहयोग (collaboration) तेजी से बढ़ रहा है। नए होटल ऐसे बनाए जा रहे हैं, जहां कई ब्रांड आसानी से काम कर सकें। कुछ होटल तो रूम सर्विस भी आउटसोर्स कर रहे हैं। मयंक प्रसाद बताते हैं कि कई होटल केटरिंग कंपनियों को व्हाइट-लेबल पार्टनर के रूप में काम करने देते हैं, जिससे होटल को स्टाफ रखने की जरूरत नहीं पड़ती और मेहमानों को अधिक वैरायटी मिलती है।

हर्षल दिलवाली बताते हैं कि आज होटल्स का मुकाबला सिर्फ होटल्स से नहीं, बल्कि Airbnb जैसे विकल्पों से भी है। इसलिए उन्हें मेहमानों को व्यक्तिगत और यादगार अनुभव देना होगा। महामारी ने भारत की हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री को नई ऊर्जा दी है और यह दौर साबित कर रहा है कि जो ब्रांड एडैप्ट, इवॉल्व और बेहतरीन अनुभव देंगे, वही भविष्य में सफल रहेंगे।

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