बेंगलुरु स्थित ई-कॉमर्स कंपनी मीशो, जिसने शुरुआत में “व्हाट्सऐप से रिसेलिंग” को आसान बनाकर छोटे शहरों की महिलाओं और माइक्रो-उद्यमियों को ऑनलाइन बिज़नेस में उतारा, अब आम निवेशकों के लिए अपना आईपीओ लेकर आ गई है। कंपनी का आईपीओ 3 दिसंबर को खुलेगा और 10 दिसंबर को स्टॉक मार्केट में लिस्ट होगा। यह आईपीओ कुल 5,421 करोड़ रुपये का है, जिसमें 4,250 करोड़ रुपये के नए शेयर और बाकी पुराने निवेशकों की बिक्री (OFS) शामिल है।
आईपीओ से मिली राशि का उपयोग मीशो अपनी टेक्नोलॉजी और क्लाउड सिस्टम को और बेहतर बनाने, AI और इंजीनियरिंग टैलेंट की भर्ती, और मार्केटिंग को बढ़ाने में करेगी।
रिसेलिंग से लेकर फुल ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस तक का सफर
मीशो की शुरुआत दिसंबर 2015 में IIT दिल्ली के दो छात्रों—विदित आत्रेय और संजीव बर्णवाल ने FashNear नाम से की थी। मकसद था छोटे शहरों के दुकानदारों और कलाकारों को बिना इन्वेंट्री रखे और बिना लॉजिस्टिक्स संभाले ऑनलाइन बेचने का मंच देना।
रिसेलर सिर्फ कैटलॉग शेयर करते थे, और बाकी काम—पैकिंग, शिपिंग, रिटर्न—सब मीशो संभालता था। इस मॉडल की वजह से लाखों महिलाएँ और गृहिणियाँ बिना निवेश के ऑनलाइन कमाई करने लगीं।
लेकिन 2020-21 के बाद कंपनी ने बड़ा बदलाव किया। मीशो ने सिर्फ रिसेलिंग पर निर्भर रहने की बजाय अपने प्लेटफॉर्म को एक पूर्ण मार्केटप्लेस की तरह विकसित किया। हजारों नए सप्लायर जुड़े, कैटेगरी बढ़ीं, और प्रोडक्ट रेंज भी बड़ी हुई।
Valmo: मीशो की अपनी लॉजिस्टिक्स सर्विस
अपने नए मॉडल को सपोर्ट करने के लिए मीशो ने अपनी लॉजिस्टिक्स सेवा Valmo शुरू की। यह एक पूरी तरह से एसेट-लाइट सर्विस है, जिसमें कंपनी खुद वाहन नहीं खरीदती, बल्कि हजारों पार्टनर लॉजिस्टिक्स एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती है। सितंबर 2025 तक Valmo के पास 18,000 सक्रिय लॉजिस्टिक पार्टनर्स 1,02,000 डिलीवरी एजेंट मौजूद थे। अपने ही नेटवर्क से डिलीवरी करने से मीशो की लागत कम हुई और डेलीवरी टाइम भी बेहतर हुआ।
बिक्री और यूज़र्स
मीशो ने FY25 में 1.8 बिलियन ऑर्डर्स पूरे किए और FY24 में 7,615 करोड़ रुपये की आय दर्ज की, जो पिछले साल से 33% ज्यादा है। वहीं कंपनी के घाटे में भी बड़ी कमी हुई FY24 में नुकसान 3,050 मिलियन रुपये तक घट गया।
कुल मिलाकर, मीशो का “लो-कॉस्ट ई-कॉमर्स” मॉडल भारत के गैर-मेट्रो और मूल्य-संवेदनशील ग्राहकों के लिए बेहद सफल साबित हो रहा है।
क्या बदल रहा है?
आईपीओ के साथ मीशो कुछ बड़े कदम उठाने जा रहा है:
1.Valmo के जरिए लॉजिस्टिक्स पर और अधिक नियंत्रण
2. नए शहरों और छोटे इलाकों में गहरी पैठ
3. किफायती प्रोडक्ट्स और नए यूज़र्स पर फोकस
4. टेक्नोलॉजी, डेटा और AI में निवेश
मीशो का साफ लक्ष्य है कि वह उन ग्राहकों को टारगेट करे जिन तक बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियाँ ठीक से नहीं पहुँच पाईं।
मुख्य चुनौतियाँ और जोखिम
हालाँकि मीशो तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन कुछ बड़े जोखिम भी हैं:
1. 75% से ज्यादा ऑर्डर कैश-ऑन-डिलीवरी (COD) पर आते हैं। इससे कैश मैनेजमेंट मुश्किल होता है और कैंसिलेशन का खतरा ज्यादा रहता है।
2. एजेंटों द्वारा कैश जमा न कराने के मामले कंपनी ने स्वीकार किए हैं, जिससे वित्तीय नुकसान हो सकता है।
3. 7.6% रिटर्न रेट हर 100 शिपमेंट में लगभग 8 वापस लौटते हैं। इससे लागत बढ़ती है और मुनाफा घटता है।
4. टैक्स और कानूनी विवाद, जिनमें जीएसटी, इनकम टैक्स और वेण्डर मामलों से जुड़े केस शामिल हैं, कंपनी के लिए चिंता का विषय हैं।
एक नई दिशा में बढ़ता भारतीय ई-कॉमर्स प्रमुख
मीशो ने छोटे शहरों के ग्राहकों और छोटे कारोबारियों को ई-कॉमर्स से जोड़कर अपनी पहचान बनाई है। अब आईपीओ के साथ कंपनी नई टेक्नोलॉजी, बेहतर लॉजिस्टिक्स और बड़े मार्केट विस्तार की ओर बढ़ रही है। चुनौतियाँ जरूर हैं—जैसे COD का बोझ, रिटर्न की लागत और कानूनी विवाद—लेकिन मीशो का मॉडल भारत के बड़े उपभोक्ता बाजार में मजबूती से टिकने की क्षमता रखता है।
निष्कर्ष
मीशो ने भारत के छोटे शहरों, महिलाओं और नए उद्यमियों को ई-कॉमर्स की मुख्यधारा से जोड़कर एक अनोखी पहचान बनाई है। अब आईपीओ के साथ कंपनी तकनीक, लॉजिस्टिक्स और विस्तार पर बड़ा दांव लगा रही है। चुनौतियाँ जैसे COD जोखिम, रिटर्न की लागत और कानूनी मामले भले ही मौजूद हों, लेकिन मीशो का किफायती और आसान ऑनलाइन शॉपिंग मॉडल भारत के विशाल उपभोक्ता बाजार में लंबे समय तक टिकने और आगे बढ़ने की मजबूत क्षमता दिखाता है।