आरबीआई की दिसंबर बैठक: क्या आएगी पहली रेट कट?

आरबीआई की दिसंबर बैठक: क्या आएगी पहली रेट कट?

आरबीआई की दिसंबर बैठक: क्या आएगी पहली रेट कट?
भारत में तेजी से घटती महंगाई और मजबूत GDP ग्रोथ के चलते RBI पर दिसंबर बैठक में तुरंत रेट कट का दबाव बढ़ गया है। हालांकि, तरलता की कमी और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच केंद्रीय बैंक को बेहद संतुलित फैसला और स्पष्ट संदेश देना होगा।

भारत ने हाल ही में दूसरी तिमाही (Q2 FY25) में 8.2% की मजबूत GDP ग्रोथ दर्ज की है। इस अच्छी खबर के कुछ ही दिनों बाद अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की दिसंबर मौद्रिक नीति बैठक शुरू होने जा रही है, जो 3 से 5 दिसंबर तक चलेगी। इस बार बाजार की नजरें एक ही चीज़ पर टिकी हैं क्या RBI आखिरकार ब्याज दरों में कटौती करेगा?

दूसरा बड़ा संकेत महंगाई का है। आर्थिक सलाहकार कंपनियों का कहना है कि भारत में महंगाई बहुत तेजी से नीचे आ रही है। Emkay Global Financial Services ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अब RBI के पास ज्यादा देर इंतजार करने का कारण नहीं है। उनका अनुमान है कि RBI दिसंबर में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है।

Emkay का कहना है कि इस समय भारत की महंगाई दर लगातार अनुमान से कम आ रही है। RBI ने भी इस साल कई बार महंगाई के अनुमान घटाए हैं। कंपनी के अनुसार दूसरी छमाही (2HFY26) में महंगाई लगभग 2% के आसपास जा सकती है, जो RBI के 4.5% अनुमान से काफी कम है। ऐसे में RBI पर कदम उठाने का दबाव बढ़ गया है।

GDP ग्रोथ भले ही 8.2% दिखी हो, लेकिन Emkay का कहना है कि इसके पीछे कुछ “गणितीय कारण” भी हैं। यानी वास्तविक खपत (Consumption) अभी भी उतनी मजबूत नहीं है। निर्यात पर भी खतरा है और Nominal GDP 8% से नीचे रह सकता है। इसका मतलब यह है कि बड़ी तस्वीर में कुछ कमज़ोरियां अभी भी मौजूद हैं, जो छिपी हुई दिखाई देती हैं।

रुपये की कमजोरी को लेकर भी बाजार में चिंता है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि दरें घटाने से रुपया और कमजोर हो जाएगा। लेकिन Emkay का कहना है कि फिलहाल रुपये का थोड़ा कमजोर होना नुकसानदायक नहीं है। इससे भारत के निर्यात को फायदा मिल सकता है। यानी अभी यह “नेचुरल स्टेबलाइज़र” की तरह काम कर रहा है।

Emkay का सबसे बड़ा चेतावनी भरा पॉइंट है लिक्विडिटी की कमी। बैंकिंग सिस्टम में नकदी तेजी से घट रही है। कंपनी का अनुमान है कि मार्च 2026 तक सिस्टम की लिक्विडिटी बहुत कम स्तर पर पहुंच सकती है। इसलिए RBI को बाजार में लगभग ₹2 लाख करोड़ की नई लिक्विडिटी डालनी पड़ेगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बॉन्ड मार्केट और ब्याज दरों पर भारी दबाव बनेगा।

यील्ड कर्व यानी बॉन्ड मार्केट की ब्याज दरों की ढलान भी इस समय काफी तीखी है, जो बताती है कि स्थिति कड़ी है और बाजार RBI के अगले कदम को लेकर अनिश्चितता में है। Emkay के अनुसार सिर्फ ब्याज दर कम करना काफी नहीं होगा; RBI को लिक्विडिटी बढ़ाने पर भी मजबूत कदम उठाने होंगे।

अब पूरा बाजार 6 दिसंबर की घोषणा का इंतजार कर रहा है। Emkay को लगता है कि RBI 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है, हालांकि समिति के भीतर मतभेद भी हो सकते हैं। साथ ही RBI को अपने बयान में बहुत सावधानी रखनी होगी ताकि बाजार को गलत संदेश न मिले। कुल मिलाकर, यह बैठक भारत की आर्थिक दिशा तय करने में अहम साबित होगी।

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