थोड़ी मुश्किल, ढेर सारा मसाला: विराज बहल के अनुसार वीबा की सफलता का रास्ता

थोड़ी मुश्किल, ढेर सारा मसाला: विराज बहल के अनुसार वीबा की सफलता का रास्ता

थोड़ी मुश्किल, ढेर सारा मसाला: विराज बहल के अनुसार वीबा की सफलता का रास्ता
एक एंटरप्रेन्योर के रूप में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए, विराज बहल ने कहा कि रेस्तरां व्यवसाय में मेरे जीवन के कठिन वर्ष वीबा के लिए आगे बढ़ने का रीज़न बन गए।

वीबा की वर्तमान ई-कॉमर्स उपस्थिति दो वर्ष पहले के 1-1.5% से बढ़कर 8-9% हो गई है और कंपनी की ताकत तीन स्तंभों पर आधारित है, उत्पाद और उत्पाद नवाचार, डिस्ट्रीब्यूशन और टीम, ऐसा इसके फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर विराज बहल ने कह।

हाल ही में आयोजित ‘Entrepreneur Summit 2025’ में एक चर्चा में बोलते हुए उन्होंने कहा "मुझे लगता है कि मुझे सक्रिय रखने का कुछ श्रेय मेरे विपक्ष को भी जाता है।" एक एंटरप्रेन्योर के रूप में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए बहल ने कहा कि "रेस्तरां व्यवसाय में मेरे जीवन के कठिन वर्ष वीबा के लिए आगे बढ़ने का कारण बन गए।"

बहल ने कहा "आखिरकार मैंने रेस्टोरेंट व्यवसाय से नाता तोड़ लिया और अगर आप 2009 या 2010 से पहले के भारत के बारे में सोचें, तो मेरे रेस्टोरेंट में मुख्य रूप से केचप, हॉट एंड स्वीट सॉस, मेयोनीज और मस्टर्ड का ही बोलबाला था और मैं हमेशा अपने रेस्टोरेंट के लिए तरह-तरह के सॉस चाहता था, जो उपलब्ध नहीं थे। इसलिए इसी बात को ध्यान में रखते हुए, मैंने सोचा कि मैं भारत में सॉस की विविधता लाने की कोशिश करूंगा और इस तरह मैंने वीबा की शुरुआत की।"

वीबा से पहले बहल ने अपना घर बेचने का विकल्प चुना और कहा कि वह इस मामले में अपनी पत्नी की सहमति के लिए आभारी हैं। हालांकि कंपनी की शुरुआती कमाई उनकी संपत्ति की बिक्री से हुई थी, फिर भी बहल ने भावी उद्यमियों को इस कदम के प्रति आगाह किया।

बहल ने आगे कहा "अगर कोई यहां व्यवसाय शुरू करने की सोच रहा है, तो कृपया अपना घर न बेचें। वह एक अलग भारत था। वह एक भोलेपन की कहानी थी, किसी नायक की कहानी नहीं थी। आप जानते हैं उस समय न तो उपभोक्ता कंपनियों को निवेश मिलता था, न ही शार्क टैंक था, न ही कोई वीसी फंड था, वह एक अलग भारत था इसलिए आपको उस तरह के कठोर कदम उठाने की जरूरत नहीं है।"

बहल ने वीबा के शुरुआती दिनों में 100 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल करने का लक्ष्य रखा था और उसके बाद ही रिटेल बिजनेस में प्रवेश किया। वहीं पिज़्ज़ा हट और केएफसी जैसी कंपनियों के दरवाजे खटखटाने के बाद कंपनी को डोमिनोज पिज़्ज़ा से 70 टन सॉस का पहला ऑर्डर मिला। मैं कभी नहीं भूलूंगा, मैं सोफे पर बैठ गया और मैंने कहा अब यह कंपनी बंद नहीं होगी। डोमिनोज के ऑर्डर के बाद कंपनी ने अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।"

डोमिनोज़ के बड़े ऑर्डर के बाद, पिज्जा हट, केएफसी, टैको बेल और बर्गर किंग से भी ऑर्डर आए, जिससे वीबा को स्थापना के साढ़े तीन साल बाद 100 करोड़ के रेवेन्यू का आंकड़ा छूने और रिटेल क्षेत्र में प्रवेश करने का मौका मिला। यह पूछे जाने पर कि यात्रा का कौन सा हिस्सा कठिन था, इस पर जवाब देते हुए बहल ने कहा "निस्संदेह 0 से 100 इसलिए मुझे लगता है कि 0 से 100 सबसे कठिन है और 100 से 300 आसान है जबकि 300 के बाद बैंड फिर से बजता है, क्योंकि तब अचानक कंपनी थोड़ी बड़ी हो जाती है।"

इसी संदर्भ में बहल ने कहा कि कंपनी के संचालन में वितरण की अहम भूमिका होती है। वीबा और वॉकटॉक ब्रांड के मालिक वीआरबी के फाउंडर के अनुसार डिस्ट्रीब्यूशन रेवेन्यू का लगभग 71-72% सामान्य व्यापार से, 21% आधुनिक व्यापार से और लगभग 9% ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स से आता है।

वहीं कंपनी की पहुंच 800 शहरों तक है, जैसे-जैसे कंपटीशन बढ़ता है, बहल इसे एक अवसर के रूप में देखते हैं। बहल ने कहा "अगर मैं देखता हूं कि किसी कंपनी ने कोई अच्छा उत्पाद बनाया है, तो मुझे अंदर से चिंता होने लगती है और फिर मैं उनके उत्पाद खरीदता हूं, फिर अपनी लैब टीम, आरएंडडी टीम, शेफ के साथ बैठकर यह सुनिश्चित करता हूं कि हम उस कंपनी से बेहतर उत्पाद लॉन्च करें और हमारे बड़े पैमाने के कारण हम हमेशा उस नए प्रवेशकर्ता को 20% कम कीमत पर बेच पाएंगे। इसलिए मैं कभी भी किसी युवा एंटरप्रेन्योर को हल्के में लेने की गलती नहीं करूंगा।"

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