इस साझेदारी के संबंध में पीएम मोदी ने ग्लोबल साउथ के देशों के सामने AI के दुरुपयोग, तकनीकी विकास और समावेशी होने की जरूरत पर बल दिया था। इसी दौरान पीएम ने फरवरी में होने वाली इंडिया एआई इंपैक्ट समिट को लेकर समस्त देशों से अपील कि वो इस सम्मेलन का हिस्सा बनें।
कब और कहां होगा इंडिया एआई इंपैक्ट समिट?
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आयोजित किए जाने वाला ‘इंडिया-एआई इम्पैक्ट शिखर सम्मेलन’ अगले साल 2026 में 19-20 फरवरी को, नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित किया जाएगा, जो जनता को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से लोगों, पृथ्वी और प्रगति के लिए भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
यह सम्मेलन वैश्विक मंच समावेशी विकास, स्थिरता और समान प्रगति को बढ़ावा देने में एआई की परिवर्तनकारी भूमिका को प्रदर्शित करेगा। यह शिखर सम्मेलन एक ऐसा मार्ग प्रशस्त करता है जहां एआई मानवता की सेवा करे, समावेशी विकास को आगे बढ़ाए, सामाजिक विकास को बढ़ावा दे और ऐसे नवाचारों को बढ़ावा दे जो पृथ्वी की रक्षा करे। इसमें तकनीक में गहरे सहयोग को लेकर एक सहमति की दिशा बनती दिखी। भारत के आधिकारिक बयान में इस बात का जिक्र है इस साझेदारी को कैसे आगे लेकर जाना है, इस पर तीनों देश आने वाले साल के शुरुआती महीनों में विचार करेंगे। वहीं नीदरलैंड, फ्रांस, कनाडा ने समिट में दिखाई है रूचि- भारत में 2026 के फरवरी में होने वाले इस समिट को लेकर सरकार महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है।
भारत सरकार के सूत्रों के मुताबिक करीब 120 देशों को इसमें हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। इस समिट में शामिल होने वाले मुख्य अतिथियों की लिस्ट में कई नामचीन हस्तियां है, जिनमें फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों तो पहले ही यह घोषणा कर चुके हैं कि वो समिट में हिस्सा लेंगे। वहीं नीदरलैंड और कनाडा की ओर से भी इसमें प्रतिभागिता को लेकर रूचि दिखाई गई है। माना जा रहा है कि समिट में ना सिर्फ वर्ल्ड लीडर्स बल्कि इंडस्ट्री के जाने माने लोगों के भी इसमें शामिल होंगे।
एआई और डिजिटल तकनीक के विस्तार पर पीएम मोदी के विचार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पेरिस में फरवरी में आयोजित हुए ‘एआई एक्शन समिट 2025’ में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल तकनीक में नए आविष्कार पर भाषण देते हुए कहा था कि “ हमने अपने डेटा सशक्तिकरण और संरक्षण ढांचे के माध्यम से डेटा की शक्ति को उजागर किया है और हमने डिजिटल वाणिज्य को सभी के लिए लोकतांत्रिक और सुलभ बनाया है। यही दृष्टिकोण भारत के राष्ट्रीय एआई मिशन की नींव है।
इसीलिए अपनी G20 अध्यक्षता के दौरान, हमने AI का जिम्मेदारी से भलाई के लिए और सभी के लिए उपयोग करने पर एक आम सहमति बनाई। आज भारत AI को अपनाने और डेटा गोपनीयता पर तकनीकी-कानूनी समाधानों में अग्रणी है।
हम जनहित के लिए AI अनुप्रयोग विकसित कर रहे हैं। हमारे पास दुनिया के सबसे बड़े AI प्रतिभा समूहों में से एक है। भारत अपनी विविधता को ध्यान में रखते हुए अपना स्वयं का वृहद भाषा मॉडल विकसित कर रहा है। कंप्यूटिंग शक्ति जैसे संसाधनों को एकत्रित करने के लिए हमारे पास एक अनूठा सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल भी है।
वर्तमान में भारत अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए तैयार है कि AI का भविष्य भलाई के लिए और सभी के लिए हो।
यह शिखर सम्मेलन तीन मार्गदर्शक सिद्धांतों या सूत्रों पर आधारित होगा: लोग, प्रथ्वी और प्रगति
लोग: एआई को अपनी समस्त विविधता में मानवता की सेवा करनी चाहिए, सांस्कृतिक पहचान का सम्मान करना चाहिए, गरिमा की रक्षा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी पीछे न छूटे। फोकस क्षेत्रों में एआई-सक्षम दुनिया में मानव विकास, बहुभाषी और सुलभ प्रणालियां और सुरक्षित एवं विश्वसनीय परिनियोजन शामिल हैं।
पृथ्वी: एआई का विकास और परिनियोजन संसाधन-कुशल होना चाहिए और साथ ही जलवायु लचीलापन, पर्यावरण संरक्षण और वैज्ञानिक खोजों में तेजी लानी चाहिए। एआई को ग्रहीय प्रबंधन और वैश्विक स्थिरता लक्ष्यों के अनुरूप होना चाहिए।
प्रगति: एआई के लाभों का समान वितरण सुनिश्चित करना, डेटासेट, कंप्यूट और मॉडल तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण करना और स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, शासन और कृषि में एआई का अनुप्रयोग करना।
इसी संदर्भ में इंडिया फ्यूचर फाउंडेशन के फाउंडर कनिष्क गौर का कहना है कि भारत सरकार की ओर से हाल ही में सामने आई एआई गवर्नेंस गाइडलाइंस दरअसल इस संबंध में दूसरे देशों की ओर से अपनाए गए दिशानिर्देशों और नियमों की तुलना में कही संतुलित रुख दिखाती है, जो बाहरी दखल से प्रभावित नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि AI के क्षेत्र में भारत दुनिया को सुरक्षित, नैतिक और पूर्वाग्रहों से मुक्त दिशा दिखा सकता है। AI इंपैक्ट समिट के तौर पर अपने विजन को सामने रखने के लिहाज से भारत के पास यह एक शानदार मौका है।