भारत का स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र GDP की दोगुनी गति से बढ़ रहा है: अल्केमी ग्रोथ कैपिटल

भारत का स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र GDP की दोगुनी गति से बढ़ रहा है: अल्केमी ग्रोथ कैपिटल

भारत का स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र GDP की दोगुनी गति से बढ़ रहा है: अल्केमी ग्रोथ कैपिटल
भारत में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 6.5% की दर से बढ़ रहा है, लेकिन स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र दोगुनी गति से 13% की दर से बढ़ रहा है, जिसमें अधिक प्रयोज्य आय, स्वास्थ्य जागरूकता में वृद्धि, जनसांख्यिकीय बदलाव और बढ़ती बीमारियों का योगदान है।

स्वास्थ्य सेवा पर केंद्रित विकास निवेशक अल्केमी ग्रोथ कैपिटल ने भारत के तेजी से बढ़ते स्वास्थ्य सेवा उद्योग में क्षेत्रीय बदलावों और उभरते निवेश अवसरों पर चर्चा करने के लिए 15 पोर्टफोलियो कंपनी फाउंडर्स, वरिष्ठ उद्यम पूंजीपतियों, निजी इक्विटी निवेशकों और स्वास्थ्य सेवा ऑपरेटरों के साथ बैठक आयोजित की।

एवेंडस के रितेश चंद्रा रेडक्लिफ लैब्स के फाउंडर और एंजेल निवेशक धीरज जैन, समरसेट इंडस कैपिटल पार्टनर्स के मयूर सिरदेसाई और ब्लूम वेंचर्स के साजिथ पई की भागीदारी वाले निवेशक पैनल ने प्रमुख निवेश पैटर्न पर प्रकाश डाला, जैसे कि पिछले दशक में भारत में निजी इक्विटी निवेश का 40% अस्पतालों, फार्मास्यूटिकल्स और आरसीएम (Revenue Cycle Management) सक्षमकर्ताओं में प्रवाहित हुआ है।

चर्चाओं में यह भी उल्लेख किया गया कि सकल घरेलू उत्पाद 6.5% की दर से बढ़ रहा है, लेकिन स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र दोगुनी गति से 13% की दर से बढ़ रहा है, जिसमें अधिक प्रयोज्य आय, स्वास्थ्य जागरूकता में वृद्धि, जनसांख्यिकीय बदलाव और दीर्घकालिक बीमारियों की व्यापकता का योगदान है। भारत में आईपीओ बूम को देखते हुए, सभी सार्वजनिक लिस्टिंग में से 10% स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में हुई हैं, जो निवेशकों के लिए मजबूत निकासी संभावना को दर्शाता है।

चर्चाओं में यह भी उल्लेख किया गया कि वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 2025 के बीच भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र ने 1,513 लेनदेन से 21.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार दर्ज किया, जो मजबूत निवेशक विश्वास और सतत उद्यमशीलता गतिविधि का संकेत है।

अल्केमी की मैनेजिंग पार्टनर अल्का गोयल ने कहा "अल्केमी में हम उन संस्थापकों का समर्थन करते हैं जो साहस और कोऑर्डिनेशन का समन्वय करते हैं। विभिन्न उप-क्षेत्रों में जो संभव है, उसे नए सिरे से समझने का साहस और मौजूदा कंपीटीटर से आगे निकलने के लिए आवश्यक अथक परिश्रम।

इसके अलावा चर्चाओं से यह भी मालूम होता है कि भारत में ‘स्वास्थ्य’ की परिभाषा का विस्तार निवारक कल्याण की ओर तेजी से हुआ है और उपभोक्ता अब स्वच्छता, पोषण, प्रारंभिक निदान और साक्ष्य-आधारित देखभाल को प्राथमिकता दे रहे हैं। पी सेफ और रेडक्लिफ लैब्स जैसी पोर्टफोलियो कंपनियां इस बदलाव को प्रतिबिंबित करने के लिए तैयार हैं।

साथ ही इस सम्मेलन में भारत की आयात पर ऐतिहासिक निर्भरता पर भी ध्यान दिया गया, जहां लगभग 80% चिकित्सा उपकरण अभी भी आयात किए जाते हैं, लेकिन इसमें धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। आईबीईएफ के अनुसार, भारतीय चिकित्सा उपकरण बाजार 2030 तक 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। चिकित्सा उपकरणों के लिए सरकार की 3,420 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना भी स्थानीय विनिर्माण और तकनीकी विकास को गति दे रही है।

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