बेंगलुरु स्थित मिनीमाइंस क्लीनटेक सॉल्यूशंस (MiniMines Cleantech Solutions) ने कर्नाटक सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स, IT और बायोटेक विभाग के साथ 350 करोड़ रुपये के गिगा क्रिटिकल मिनरल्स रिफाइनिंग कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए एक समझौता (MoU) किया है। यह समझौता बेंगलुरु इंटरनेशनल सेंटर में हुआ।
यह कॉम्प्लेक्स भारत के नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन का हिस्सा होगा, जिसका उद्देश्य देश में रिफाइनिंग क्षमता बढ़ाना और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, रिन्यूएबल एनर्जी और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग के लिए ज़रूरी मिनरल्स की घरेलू आपूर्ति मजबूत करना है। पहले चरण में 15,000 MTPA की रिफाइनिंग क्षमता होगी, जिससे हर साल करीब 13,400 टन उत्पाद तैयार होगा।
मिनीमाइंस (MiniMines) के अनुसार, यह प्लांट हाई-प्योरिटी लिथियम, निकेल, कोबाल्ट, कॉपर और ग्रेफाइट जैसे महत्वपूर्ण मिनरल्स तैयार करेगा, जिनकी अभी अधिकांशत: आयात पर निर्भरता है। स्थानीय रिफाइनिंग से EV, रिन्यूएबल एनर्जी, एयरोस्पेस, डिफेंस और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों को स्थिर सप्लाई मिल सकेगी।
कंपनी के को-फाउंडर और सीईओ अनुपम कुमार ने कहा कि यह कॉम्प्लेक्स बैटरियों, मैग्नेट्स और क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी के लिए आवश्यक उच्च-शुद्धता वाले मिनरल्स को देश में उपलब्ध कराने में मदद करेगा। यह प्रोजेक्ट कंपनी की पेटेंटेड Hybrid Hydrometallurgy तकनीक का उपयोग करेगा और इसमें R&D और ट्रेनिंग सेंटर भी शामिल होगा। यह सुविधा शुरू होने पर 1,500 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार देगी।
कर्नाटक सरकार की सचिव डॉ. मंजुला एन ने कहा कि यह प्रोजेक्ट राज्य के ESDM इकोसिस्टम को मजबूत करेगा और आयात पर निर्भरता कम करेगा। राज्य के मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि यह पहल टेक इकोसिस्टम को मजबूत करने के साथ पर्यावरणीय प्रभाव भी कम करेगी।
मिनीमाइंस (MiniMines) को अब तक Oil India, UNIDO और ACT Grants से 4.3 करोड़ रुपये के ग्रांट मिले हैं, और Mercedes Benz के Climate Tech Incubator Villgro से भी सपोर्ट प्राप्त है।