rasmanthan-opens-in-mumbai-a-symphony-of-flavours-served-unlimited
आतिथ्य क्षेत्र के दिग्गज जिनो जोसेफ और जी वर्गीस द्वारा स्थापित, इस रेस्टोरेंट का उद्देश्य संस्कृति, समुदाय और आनंद भरी सेवा पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारतीय भोजन की भव्यता को पुनर्जीवित करना है।
रेस्टोरेंट में 28 व्यंजनों वाली थाली रोजाना बदलती है, जिसे मौसमी और त्योहारी सामग्रियों से तैयार किया जाता है। पारंपरिक व्यंजनों जैसे दाल बाटी चूरमा, पनीर महारानी, सूरती दाल और मसाला खिचड़ी से लेकर मूंग दाल हलवा, रबड़ी के साथ जलेबी और श्रीखंड जैसी मिठाइयां तक, हर दिन स्टार्टर्स, मेन कोर्स, ब्रेड और मिठाइयों का एक नया संयोजन पेश किया जाता है।
राजस्थान के रसोइयों की एक टीम रसोई का नेतृत्व करती है, जो हर सुबह पारंपरिक पूजा से शुरू होकर पारिवारिक व्यंजनों और क्षेत्रीय परंपराओं पर आधारित दिन का मेनू तैयार करती है। रसमंथन अपना भोजन उत्कीर्ण कंसा थालियों में परोसता है, जो शाही भारतीय भोजन परंपराओं से प्रेरित हैं। आयुर्वेद में अपने पाचन संबंधी लाभों के लिए मूल्यवान कंसा, रेस्टोरेंट के अनुभव में एक पारंपरिक स्पर्श जोड़ता है और विरासत को आधुनिक आतिथ्य के साथ जोड़ता है।
रसमंथन के फाउंडर जीनो जोसेफ कहते हैं, "थाली हमेशा से भारत में आतिथ्य, आराम और बांटने की सबसे हार्दिक अभिव्यक्ति रही है। रसमंथन के साथ, हम इस परंपरा को वह विशिष्ट स्थान देना चाहते थे जिसकी वह वास्तव में हकदार है।"
रसमंथन की फाउंडर जी वर्गीस कहती हैं, "हमारे लिए विलासिता का मतलब विशिष्टता नहीं है; यह उदारता, आनंद और देखभाल पाने की खुशी में निहित है। रसमंथन में हम बढ़िया खाने के स्वाद को (घर के टेस्टी खाने जैसा) परोसते हैं।“
यह जगह थाली के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन की गई है। इसके अंदरूनी हिस्से में गहरे हरे और जंग लगे रंगों का इस्तेमाल किया गया है जो भारतीय व्यंजनों के रंगों और जीवंतता को दर्शाते हैं। मंद रोशनी हर व्यंजन को उभारती है, जबकि मंडला कलाकृति एक शांत और संतुलित एहसास देती है। पॉलिश किए हुए संगमरमर, गर्म लकड़ी और पीतल जैसी सामग्रियां आराम और सूक्ष्म विलासिता का मिश्रण बनाती हैं।
रसमंथन का लक्ष्य सिर्फ खाने की जगह से कहीं बढ़कर है। यह साझा भोजन और जाने-पहचाने स्वादों के जरिए लोगों को एक साथ लाने पर केंद्रित है। बदलती थाली से लेकर आनंदपूर्वक सेवा तक, अनुभव का हर पहलू भारत की आतिथ्य परंपरा का प्रतीक है। यह एक ऐसी जगह है जहां खाना घर जैसा लगता है, जहां परंपराओं का सम्मान किया जाता है और हर भोजन मेहमानों को शांत होकर पल का आनंद लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।