जनरेशन Z और AI बदल रहे हैं भारत का उपभोक्ता बाजार

जनरेशन Z और AI बदल रहे हैं भारत का उपभोक्ता बाजार

जनरेशन Z और AI बदल रहे हैं भारत का उपभोक्ता बाजार
भारत का उपभोक्ता बाजार तेज़ बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जहां Gen Z, टियर-2/3 शहर और AI-आधारित ब्रांड नई दिशा तय कर रहे हैं। फायरसाइड वेंचर्स का फंड IV स्वास्थ्य, न्यूट्रास्यूटिकल्स, फैशन और ओम्नीचैनल ब्रांड्स में उभरते अवसरों पर बड़ा दांव लगा रहा है।

भारत का उपभोक्ता बाजार तेजी से बदल रहा है और इसमें Gen Z, टियर-2 व टियर-3 शहरों के ग्राहक और AI-आधारित नए ब्रांड सबसे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। फायरसाइड वेंचर्स के को-फाउंडर और पार्टनर विनय सिंह ने बेंगलुरु में प्रेस ब्रीफिंग के बाद एक विशेष बातचीत में यह बात कही।

वर्ष 2026 तक ब्रांड्स को प्रोडक्ट बनाने, उसकी कीमत तय करने, पैकेजिंग और कम्युनिकेशन—हर चीज़ को Gen Z की पसंद के हिसाब से दोबारा सोचने की जरूरत होगी। उन्होंने यह भी बताया कि मिलेनियल्स अब एक ऐसे चरण में पहुँच रहे हैं जहाँ उनकी प्राथमिकताएं स्वास्थ्य, प्रिवेंटिव केयर और लाइफस्टाइल से जुड़ी कमियों को पूरा करने की ओर मुड़ रही हैं, जैसे गट हेल्थ, मसल बिल्डिंग, मेनोपॉज़, बोन-जॉइंट हेल्थ और रेस्पिरेटरी व लिवर हेल्थ।

ब्रांड 3.0 और AI का बढ़ता असर

सिंह का कहना है कि उपभोक्ता व्यवसाय में AI की पकड़ इतनी मजबूत हो गई है कि इसे नज़रअंदाज़ करना अब संभव नहीं है। डिमांड प्लानिंग, सप्लाई चेन, अकाउंटिंग, कस्टमर सर्विस, ट्रेनिंग इन सभी फंक्शंस को AI के साथ दोबारा तैयार करना पड़ेगा। फिलहाल यह निवेश भारी महसूस हो सकता है, लेकिन आने वाले समय में इसका बड़ा फायदा मिलेगा।

फायरसाइड वेंचर्स ने अपना 2,265 करोड़ रुपये का फंड IV पूरा कर लिया है और अब ऐसे ब्रांड्स पर ध्यान देगा जो शुरुआत से ही ओम्नीचैनल तरीके से सोचते हों, बिज़नेस में गहराई से AI अपनाते हों और जिन्होंने कई सालों तक प्रोडक्ट डेवलपमेंट पर काम किया हो।
 
स्वास्थ्य और न्यूट्रास्यूटिकल श्रेणी भारत में तेजी से बढ़ रही है—प्रोटीन अब पाउडर से आगे बढ़कर चिप्स, चॉकलेट और ड्रिंक्स के रूप में आ रहा है, जबकि ओमेगा-3, मैग्नीशियम, आयरन और कैल्शियम जैसी कमियों के समाधान की मांग भी बढ़ रही है। फर्टिलिटी, गट हेल्थ, परफॉर्मेंस न्यूट्रीशन और रेस्पिरेटरी हेल्थ जैसी कैटेगरी भी आगे बढ़ेंगी।

फैशन कैटेगरी को लेकर उन्होंने कहा फैशन में भी Gen Z के लिए बेहतर और किफायती विकल्पों की कमी है, जिससे नए ब्रांड्स के लिए बड़ा मौका बन रहा है, खासकर भारतीय एथनिक वियर को नए अंदाज़ में पेश करने में। सिंह का मानना है कि उद्यमी अक्सर नए व्हाइट स्पेस खोजते हैं और फायरसाइड उन कैटेगरी में भी निवेश करने के लिए तैयार है, जिन्हें अभी तक बाजार में सही तरीके से नहीं पहचाना गया है।

फंड
IV की रणनीति

फायरसाइड का फंड IV सीड से सीरीज़ A तक निवेश करेगा, और कुछ मामलों में थोड़ा लेटर-स्टेज राउंड में भी भाग लेगा। कुल फंड का एक-तिहाई हिस्सा नए निवेशों में जाएगा और बाकी राशि फॉलो-ऑन राउंड्स में, ताकि ब्रांड्स को दो–तीन चरणों तक लगातार सपोर्ट मिल सके।

इस फंड की संरचना फायरसाइड को ब्रांड्स के साथ लंबे समय तक बने रहने और उनकी ग्रोथ में गहराई से मदद करने की अनुमति देती है। यही मॉडल फंड I से फंड II तक पॉज़िटिव-रिटर्न कंपनियों की संख्या बढ़ाने में मददगार रहा है, और यूनिकॉर्न-आउटलायर पर निर्भर मॉडल से अधिक स्थायी माना जा रहा है।

सिंह के अनुसार, इस फंड के साथ तीन बड़े बदलाव दिख रहे हैं।  उद्यमी शुरुआत से ही ओम्नीचैनल अप्रोच अपना रहे हैं।टीम अपने बिज़नेस में गहराई तक AI ला रही हैं और कई फाउंडर्स ने 3–5 साल सिर्फ प्रोडक्ट को परफेक्ट करने में लगाए हैं और अब स्केल के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि Gen Z फाउंडर्स अब Gen Z के लिए ब्रांड बना रहे हैं और उनकी ऑथेंटिसिटी सीधे ब्रांड की "सोल" में महसूस होती है।

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