महिला सशक्तिकरण की मिसाल: ड्रोन से बदलती खेती की दुनिया

महिला सशक्तिकरण की मिसाल: ड्रोन से बदलती खेती की दुनिया

महिला सशक्तिकरण की मिसाल: ड्रोन से बदलती खेती की दुनिया
शांति विश्वकर्मा, छत्तीसगढ़ की एक नमो ड्रोन दीदी, कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक के माध्यम से बदलाव ला रही हैं।

भारत का कृषि क्षेत्र एक नए दौर की क्रांति से गुजर रहा है, और इस बदलाव की अगुवाई कर रही हैं शांति विश्वकर्मा जैसी महिलाएं। छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ की रहने वाली शांति मोदी सरकार की 'ड्रोन दीदी' योजना की लाभार्थी हैं, जिसका उद्देश्य महिलाओं को ड्रोन तकनीक के माध्यम से सक्षम बनाना है। नमो ड्रोन दीदी के रूप में चुने जाने के बाद, उन्होंने ग्वालियर माधवानी इंस्टीट्यूट में 15 दिनों की कड़ी ट्रेनिंग ली और अब किसानों की सहायता कर रही हैं, जिससे खेती को अधिक आसान और प्रभावी बनाया जा सके।

इस विशेष इंटरव्यू में, शांति हमें अपनी संघर्ष भरी यात्रा के बारे में बता रही हैं—कैसे उन्होंने अचार और पापड़ बेचने से लेकर ड्रोन आधारित खेती में कदम रखा और अब ₹1 लाख प्रति माह तक की कमाई कर रही हैं। वह यह भी साझा कर रही हैं कि यह सरकारी योजना ग्रामीण महिलाओं के लिए कैसे नए अवसर खोल रही है और उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बना रही है।

आप मोदी सरकार की ड्रोन दीदी योजना से कैसे जुड़ीं, और आप अपने व्यवसाय को कैसे आगे बढ़ा रही हैं?

शांति विश्वकर्मा: मैं डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़ से हूं और महिला सज्जी से जुड़ी हुई हूं। मुझे मोदी सरकार की ड्रोन दीदी योजना के तहत नमो ड्रोन दीदी के रूप में चुना गया। मैंने ग्वालियर माधवानी इंस्टीट्यूट में 15 दिनों का ट्रेनिंग की।

ट्रेनिंग पूरा करने के बाद, मुझे एक ड्रोन और एक कार दी गई। अब, मैं इस ड्रोन की मदद से किसानों के खेतों में पानी और कीटनाशकों का छिड़काव करती हूं। पहले, किसानों को यह काम कंधे पर पंप उठाकर करना पड़ता था, जो बेहद मुश्किल और थकाने वाला था। लेकिन अब, ड्रोन के माध्यम से यह काम आसान और प्रभावी हो गया है। मेरा ड्रोन 10 लीटर पानी और दवा ले जाता है, जिसे मैं खेतों में छिड़कती हूं। इस योजना के तहत हमें इफको (IFCO) के उत्पादों का उपयोग करना होता है।

आप इस योजना से कब से जुड़ी हुई हैं?

शांति विश्वकर्मा: मैं 2023 से इस योजना से जुड़ी हुई हूं। मैंने 2023 में ट्रेनिंग शुरू की, और अब मुझे एक साल से अधिक हो गया है इस क्षेत्र में काम करते हुए। इस योजना की मदद से मैं अब ₹1 लाख प्रति माह की कमाई कर रही हूं।

इस योजना से कितनी अन्य महिलाएं जुड़ी हुई हैं?

शांति विश्वकर्मा: छत्तीसगढ़ में हमारे पास 15 नमो ड्रोन दीदी हैं। हमने साथ में ट्रेनिंग ली और अब हम अलग-अलग जिलों में काम कर रही हैं। हम सभी अपने काम को आगे बढ़ा रही हैं और कृषि क्षेत्र में सकारात्मक योगदान दे रही हैं।

जब आपने यह यात्रा शुरू की, तो आपको इस योजना से जुड़ने और नया व्यवसाय शुरू करने की प्रेरणा कहां से मिली?

शांति विश्वकर्मा: मेरा हमेशा से सपना था कि महिलाएं आगे बढ़ें। इस योजना से जुड़ने से पहले, मैं घर पर अचार और पापड़ बनाकर बेचती थी। मैं हमेशा महिलाओं को स्वतंत्र बनने और कुछ नया करने के लिए प्रेरित करती थी।

मैंने 10वीं कक्षा के बाद शादी कर ली, लेकिन इसके बावजूद अपनी पढ़ाई जारी रखी। मैंने अपने ससुराल में रहते हुए B.Sc पूरा किया और कंप्यूटर की भी पढ़ाई की। मेरी यात्रा आसान नहीं थी, लेकिन मेहनत और लगन की बदौलत आज मैं यहां तक पहुंच पाई हूं।

क्या आपको इस योजना में निवेश करना पड़ा?

शांति विश्वकर्मा: नहीं, मुझे इसमें कोई निवेश नहीं करना पड़ा। यह योजना पूरी तरह से सरकार द्वारा समर्थित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस योजना को महिलाओं को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के लिए शुरू किया। मैं प्रधानमंत्री मोदी जी की आभारी हूं, जिन्होंने महिलाओं के लिए ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में अवसर खोले। छत्तीसगढ़ में 15 महिलाओं को यह ड्रोन मिला है, और वे सभी अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक चला रही हैं।

निष्कर्ष

शांति विश्वकर्मा की यात्रा बताती है कि कैसे सरकारी योजनाएं महिलाओं को सशक्त बना रही हैं और कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं। एक छोटे घरेलू व्यवसाय से लेकर ड्रोन तकनीक के माध्यम से ₹1 लाख प्रति माह कमाने तक, उनकी सफलता कई अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा है।

उनकी कहानी दिखाती है कि आधुनिक तकनीक खेती को कैसे बदल सकती है और महिलाओं के लिए नए अवसर खोल सकती है। छत्तीसगढ़ में पहले ही 15 महिलाएं इस योजना का लाभ उठा रही हैं, और यह पहल निश्चित रूप से एक मजबूत, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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