Snapdeal की पैरेंट कंपनी 300 करोड़ रुपये जुटाएगी

Snapdeal की पैरेंट कंपनी 300 करोड़ रुपये जुटाएगी

Snapdeal की पैरेंट कंपनी 300 करोड़ रुपये जुटाएगी
ऐसवेक्टर लिमिटेड, स्नैपडील और यूनिकॉमर्स की पैरेंट कंपनी, ने 300 करोड़ रुपये के फ्रेश इश्यू और 6.38 करोड़ शेयरों के OFS के साथ अपना अपडेटेड DRHP SEBI में दाखिल किया है, जिसमें बड़े निवेशक हिस्सेदारी बेचेंगे जबकि संस्थापक अपने शेयर होल्ड रखेंगे।

स्नैपडील (Snapdeal) और यूनिकॉमर्स (Unicommerce) की पैरेंट कंपनी ऐसवेक्टर लिमिटेड (AceVector Limited) ने अपने प्रस्तावित आईपीओ के लिए SEBI के पास अपडेटेड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया है। कंपनी 300 करोड़ रुपये तक के फ्रेश इश्यू और 6.38 करोड़ इक्विटी शेयरों की ऑफ़र फॉर सेल (OFS) के जरिए पूंजी जुटाने की तैयारी में है।

ओएफएस (OFS)  में सॉफ्टबैंक (SoftBank), नेक्सस वेंचर पार्टनर्स (Nexus Venture Partners) और फॉक्सकॉन (Foxconn) सहित कई मौजूदा निवेशक अपनी हिस्सेदारी बेचेंगे। वहीं Temasek, eBay और Premji Invest भी कंपनी के प्रमुख निवेशकों में शामिल हैं।

कंपनी के सह-संस्थापक कुनाल बहल और रोहित बंसल अपनी संयुक्त 34.63% हिस्सेदारी बरकरार रखेंगे और कोई शेयर नहीं बेचेंगे।

गुरुग्राम स्थित AceVector तीन प्रमुख व्यवसाय संचालित करती है—

Snapdeal: वैल्यू केंद्रित ऑनलाइन मार्केटप्लेस
Unicommerce: ई-कॉमर्स SaaS प्लेटफॉर्म (2024 में स्वतंत्र रूप से सूचीबद्ध)
Stellaro Brands: उपभोक्ता ब्रांड पोर्टफोलियो जिसमें ‘Rangita’ जैसे एथनिक वियर लेबल शामिल

फाइलिंग के अनुसार, ये सभी बिज़नेस स्वतंत्र रूप से चलते हुए भी इन्फ्रास्ट्रक्चर और रणनीतिक मार्गदर्शन साझा करते हैं। Snapdeal मुख्य रूप से 599 रुपये से कम कीमत वाले उत्पादों पर केंद्रित है और इसके अधिकांश ऑर्डर गैर-मेट्रो शहरों से आते हैं।

आईपीओ से जुटाई गई राशि Snapdeal की टेक्नोलॉजी को मजबूत करने, मार्केटिंग बढ़ाने, इनऑर्गेनिक ग्रोथ और सामान्य कॉरपोरेट जरूरतों पर खर्च की जाएगी।

ऐसवेक्टर लिमिटेड (AceVector) ने 2024 में अपनी सहायक कंपनी Unicommerce को सफलतापूर्वक सूचीबद्ध किया था, जिसके आईपीओ को 168 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था।

वित्त वर्ष 2025 में कंपनी ने 395 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग रेवेन्यू और 39 करोड़ रुपये का एडजस्टेड EBITDA घाटा दर्ज किया। FY 2026 की पहली छमाही में रेवेन्यू 34% बढ़कर 244 करोड़ रुपये हो गया, जबकि EBITDA घाटा घटकर 9.2 करोड़ रुपये पर आ गया। इस अवधि में नेट ऑपरेटिंग कैश फ्लो 5.07 करोड़ रुपये सकारात्मक रहा।

प्रस्तावित सार्वजनिक निर्गम के लिए IIFL Capital Services और CLSA India बुक रनिंग लीड मैनेजर की भूमिका निभा रहे हैं।

 

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