DIGIPIN और DHRUVA: भारत का एड्रेस सिस्टम हुआ डिजिटल

DIGIPIN और DHRUVA: भारत का एड्रेस सिस्टम हुआ डिजिटल

DIGIPIN और DHRUVA: भारत का एड्रेस सिस्टम हुआ डिजिटल
डिजिपिन और ध्रुव (DHRUVA) जैसे डिजिटल एड्रेस सिस्टम भारत की पुरानी और जटिल एड्रेसिंग व्यवस्था को आधुनिक, सुरक्षित और सटीक बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

भारत लंबे समय से पुराने और असंगठित एड्रेस सिस्टम पर निर्भर रहा है। पिनकोड जैसे पारंपरिक तरीकों के चलते तेज़ डिलीवरी, सही लोकेशन ढूंढना और गवर्नेंस जैसी प्रक्रियाएँ मुश्किल होती रही हैं। तेज़ी से शहरीकरण और ई-कॉमर्स के विस्तार के इस दौर में, यह सिस्टम अब काफी पुराना और अप्रभावी हो चुका है। इसी कमी को दूर करने के लिए भारत ने डिजिटल एड्रेसिंग सिस्टम की ओर बड़ा कदम बढ़ाया है—पहले DIGIPIN और अब DHRUVA के रूप में।

DIGIPIN क्या है और क्यों ज़रूरी है?

भारत पोस्ट, IIT हैदराबाद और ISRO द्वारा विकसित DIGIPIN एक 10-अक्षरों वाला जियोकोडेड डिजिटल एड्रेस है, जो किसी भी लोकेशन के सटीक लैटीट्यूड-लॉन्गिट्यूड दिखाता है। यह पारंपरिक पिनकोड सिस्टम से कहीं अधिक सटीक और स्थायी है।

भारत में एक ही पते के कई रूप, लैंडमार्क आधारित दिशाएँ, और अनमैप्ड बस्तियाँ लंबे समय से एड्रेस वेरिफिकेशन को चुनौतीपूर्ण बनाते रहे हैं। DIGIPIN इस समस्या का समाधान देता है क्योंकि:

हर लोकेशन को एक यूनिक डिजिटल पहचान मिलती है।
GPS आधारित सटीकता से डिलीवरी आसान होती है।
धोखाधड़ी और गलत पते की समस्या घटती है।
MapmyIndia और Genesys जैसी कंपनियाँ इसे पहले ही अपने मैप प्लेटफॉर्म में शामिल कर चुकी हैं।
DHRUVA: Address-as-a-Service का नया दौर

DIGIPIN की सफलता के बाद अब सरकार DHRUVA (Digital Hub for Reference and Unique Virtual Address) ला रही है। यह एक बड़ा डिजिटल सार्वजनिक ढांचा होगा, जो एड्रेस मैनेजमेंट को उसी तरह मानकीकृत करेगा जैसे UPI ने पेमेंट्स को किया।

राज्यसभा में दिए गए बयान के अनुसार, DHRUVA का लक्ष्य है:

हर पते को डिजिटल पहचान देना
एड्रेस डेटा को सुरक्षित रखना
एड्रेस शेयरिंग और वेरिफिकेशन आसान और एकरूप बनाना
सरकारी और निजी सेवाओं के लिए एक साझा डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करना
इस फ्रेमवर्क में Digital Address Identifier (DAI), एड्रेस वेरिफिकेशन एजेंसियाँ, एड्रेस सेवा प्रदाता और एक राष्ट्रीय एडमिनिस्ट्रेशन नेटवर्क शामिल होंगे।

उद्योग के लिए फायदे: ई-कॉमर्स से शासन तक

शिपरॉकेट ( Shiprocket) और रैपिडशिप (RapidShyp) जैसी लॉजिस्टिक्स कंपनियों का कहना है कि DIGIPIN और DHRUVA डिलीवरी सिस्टम में व्यापक बदलाव ला सकते हैं:

गलत पते से रिटर्न (RTO) कम होंगे
डिलीवरी टाइम और रूटिंग अधिक सटीक होगी
COD धोखाधड़ी और फर्जी एड्रेस कम होंगे
लास्ट माइल ऑपरेशन अधिक भरोसेमंद बनेंगे

AI, GIS, सैटेलाइट मैपिंग और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों की मदद से ये सिस्टम लगातार बेहतर होते रहेंगे।

डेटा गोपनीयता: सबसे बड़ी चिंता

नए सिस्टम में प्राइवेसी को प्राथमिकता दी गई है:

डिजिटल एड्रेस तभी एक्सेस होगा जब यूज़र अनुमति देगा
डेटा एन्क्रिप्टेड और टोकनाइज़्ड होगा
हर एक्सेस का लॉग रहेगा और ऑडिट संभव होगा
यह भरोसा दिलाता है कि एड्रेस जानकारी सुरक्षित रहेगी।

भविष्य की दिशा

DHRUVA और DIGIPIN भारत के एड्रेस सिस्टम को पूरी तरह बदल सकते हैं। ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स, बैंकिंग और सरकारी सेवाओं के लिए यह एक नया युग लेकर आ सकते हैं। हालांकि, इस परिवर्तन की असली सफलता लागू होने के बाद ही दिखाई देगी।

DHRUVA के ड्राफ्ट पर सुझाव भेजने की आख़िरी तारीख़ 31 दिसंबर है और उम्मीद है कि सिस्टम का लागू होना अगले साल शुरू हो सकता है।

भारत, जहां डिजिटल पेमेंट्स ने दुनिया को नया रास्ता दिखाया, अब एड्रेस सिस्टम में भी नई मिसाल कायम करने की ओर बढ़ रहा है।

 

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