भारत की ईवी नीति में मर्सिडीज-हुंडई समेत दिग्गज कंपनियों की दिलचस्पी

भारत की ईवी नीति में मर्सिडीज-हुंडई समेत दिग्गज कंपनियों की दिलचस्पी

भारत की ईवी नीति में मर्सिडीज-हुंडई समेत दिग्गज कंपनियों की दिलचस्पी
भारत सरकार की नई इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति के तहत मर्सिडीज, हुंडई, वोक्सवैगन जैसी कंपनियों ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग में रुचि दिखाई है। इस योजना का उद्देश्य भारत को ग्लोबल ईवी मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है।

 

भारत सरकार की इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने वाली नई उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना में मर्सिडीज-बेंज, फॉक्सवैगन, स्कोडा, हुंडई और किया जैसी दिग्गज वैश्विक ऑटो कंपनियों ने औपचारिक रूप से दिलचस्पी दिखाई है। यह जानकारी भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने दी है।

मंत्री ने कहा, “मर्सिडीज-बेंज, फॉक्सवैगन, स्कोडा, हुंडई और किया—इन सभी कंपनियों ने औपचारिक रूप से रुचि दिखाई है। टेस्ला से हमें ज्यादा उम्मीद नहीं है, वे केवल शोरूम खोलना चाहते हैं, निर्माण में उनकी रुचि नहीं है, ऐसा अभी तक हमारे पास की जानकारी कहती है।”

सरकार द्वारा 2024 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य भारत को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण का वैश्विक केंद्र बनाना है। इसके तहत $35,000 या उससे अधिक कीमत वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क को 70% से घटाकर 15% किया गया है, जो पांच साल के लिए लागू रहेगा। हालांकि यह छूट हर साल अधिकतम 8,000 यूनिट्स तक ही सीमित है और कंपनियों को 4,150 करोड़ रुपये (करीब $500 मिलियन) के निवेश का वादा करना होगा।

योजना के अनुसार, कंपनियों को तीन वर्षों में 25% और पांच वर्षों में 50% तक घरेलू मूल्यवर्धन (value addition) सुनिश्चित करना होगा। यह निवेश मैन्युफैक्चरिंग प्लांट, मशीनरी, अनुसंधान व विकास और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर में किया जाना चाहिए, हालांकि जमीन की लागत को योजना में शामिल नहीं किया गया है। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर कुल निवेश का अधिकतम 5% और निर्माण लागत का अधिकतम 10% खर्च किया जा सकता है, यदि वह मुख्य प्लांट का हिस्सा हो।

कुमारस्वामी ने कहा, “यह योजना भारत को वैश्विक ईवी हब बनाने में मदद करेगी, स्थानीय रोजगार बढ़ाएगी और देश के नेट ज़ीरो एमिशन के 2070 के लक्ष्य को सपोर्ट देगी।”

योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया जल्द शुरू होगी, जिसके लिए कंपनियों को 120 दिन का समय मिलेगा। इसके साथ ही 5 लाख रुपये का गैर-वापसीयोग्य आवेदन शुल्क भी देना होगा। मंत्री ने कहा, “जब हम आवेदन विंडो खोलेंगे, तब हमें कंपनियों की वास्तविक मंशा का पता चलेगा।”

इस योजना में वही कंपनियां भाग ले सकेंगी जिनका ऑटो निर्माण क्षेत्र में सालाना 10,000 करोड़ रुपये का वैश्विक कारोबार है और जिनका कुल वैश्विक निवेश 3,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक है।

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