बीएचयू ने विकसित की हाई-रेंज सोडियम सल्फर बैटरी

बीएचयू ने विकसित की हाई-रेंज सोडियम सल्फर बैटरी

बीएचयू ने विकसित की हाई-रेंज सोडियम सल्फर बैटरी
बीएचयू के वैज्ञानिकों ने सोडियम सल्फर बैटरी विकसित की है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों को 1300 किलोमीटर तक की रेंज प्रदान कर सकती है। यह बैटरी मौजूदा सोडियम और लीथियम आयन बैटरियों की तुलना में 35% सस्ती होगी और चार्जिंग की समस्या को दूर करने में मदद करेगी।

बढ़ते पॉलूशन और ईंधन की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि के बीच इलेक्ट्रिक वाहन एक मजबूत विकल्प के रूप में उभर रहे हैं। हालांकि, इन वाहनों की सीमित रेंज और चार्जिंग की समस्या उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। इस समस्या के समाधान के लिए बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) के भौतिक विज्ञानियों ने एक महत्वपूर्ण खोज की है।

बीएचयू के भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रो. राजेंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने इंडस्ट्रियल वेस्ट (औद्योगिक कचरे) में पाए जाने वाले सल्फर का उपयोग करके रूम टेंप्रेचर सोडियम सल्फर बैटरी का विकास किया है। यह बैटरी मौजूदा सोडियम आयन और लीथियम आयन बैटरियों की तुलना में 35 प्रतिशत सस्ती होगी और बड़े बैटरी पैक के रूप में उपयोग किए जाने पर एक बार चार्ज होने पर 1300 किलोमीटर तक की रेंज प्रदान कर सकती है।

इस नई बैटरी के वृहद अनुसंधान और विकास (Extensive research and development) के लिए ऊर्जा मंत्रालय की कंपनी सीपीआरआई (सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट), बेंगलुरु के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया गया है। इस परियोजना को अगले दो वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके बाद तकनीक का हस्तांतरण कर इसका थोक उत्पादन किया जाएगा।

परंपरागत सोडियम आयन बैटरी की डिस्चार्ज क्षमता 170 से 175 मिली एंपियर आवर प्रति ग्राम होती है और इसका ऊर्जा घनत्व 150 से 180 वाट आवर प्रति किलोग्राम होता है। वहीं, बीएचयू द्वारा विकसित रूम टेंप्रेचर सोडियम सल्फर बैटरी की डिस्चार्ज क्षमता 1300 से 1400 मिली एंपियर आवर प्रति ग्राम और ऊर्जा घनत्व 1274 वाट आवर प्रति किलोग्राम पाई गई है।

सामान्य तौर पर सोडियम आयन बैटरी का बड़ा पैक चार पहिया वाहनों को केवल 250 से 300 किलोमीटर की रेंज देता है। इसके विपरीत, नई सल्फर बैटरी की उच्च डिस्चार्ज क्षमता और ऊर्जा घनत्व(Energy Density) के कारण यह 1200 से 1300 किलोमीटर तक की रेंज प्रदान कर सकती है।

बीएचयू की यह खोज इलेक्ट्रिक वाहनों की सीमाओं को दूर करने में अहम भूमिका निभा सकती है और भारत में ई-मोबिलिटी को नया आयाम दे सकती है।

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