पर्यावरण के लिए बड़ी पहल, IKEA का इलेक्ट्रिक ट्रक पहुंचा सड़कों पर

पर्यावरण के लिए बड़ी पहल, IKEA का इलेक्ट्रिक ट्रक पहुंचा सड़कों पर

पर्यावरण के लिए बड़ी पहल, IKEA का इलेक्ट्रिक ट्रक पहुंचा सड़कों पर
आईकेईए ने भारत में अपनी पहली हेवी-ड्यूटी इलेक्ट्रिक ट्रक सेवा शुरू की है, जो मुंबई पोर्ट, पुणे डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर और रिटेल स्टोर के बीच माल ढुलाई कर रही है।

आईकेईए (IKEA) ने भारत में सार्वजनिक सड़कों पर अपनी पहली हेवी-ड्यूटी इलेक्ट्रिक ट्रक सेवा शुरू की है। यह ट्रक BLR Logistiks के साथ साझेदारी में संचालित किया जा रहा है और अक्टूबर 2024 से मुंबई पोर्ट, पुणे स्थित डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर और मुंबई रिटेल स्टोर के बीच माल ढुलाई कर रहा है।

कंपनी के अनुसार, यह पहल IKEA के परिवहन परिचालनों में कार्बन उत्सर्जन को घटाने और लॉजिस्टिक दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है। भले ही इलेक्ट्रिक ट्रक की शुरुआती लागत डीजल ट्रकों की तुलना में अधिक हो, लेकिन IKEA का कहना है कि इस बदलाव से दीर्घकालिक लागत में कमी और संचालन में सुधार हुआ है। इनमें डिलीवरी का समय घटकर दो दिन से एक दिन होना, सालाना परिवहन लागत में 16% की कमी और लोडिंग-अनलोडिंग के दौरान कम समय लगना शामिल हैं।

कंपनी द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस रूट पर इलेक्ट्रिक ट्रक की शुरुआत से सालाना लगभग 206 टन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती हुई है, जो लगभग 30% की कमी है। इसके अलावा, सालाना 1.6 लाख किलोमीटर की खाली ट्रिप को भी रोका गया है।

पहले इस 120 किलोमीटर लंबे रूट को दो डीजल ट्रक कवर करते थे, लेकिन अब एक ही इलेक्ट्रिक ट्रक यह पूरा सफर तय कर रहा है। इस बदलाव के लिए IKEA ने कस्टम प्रक्रिया को सरल किया है और समुद्री तथा स्थलीय परिवहन साझेदारों के साथ अपने समझौतों को भी संशोधित किया है। वहीं, BLR Logistiks ने चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी निवेश किया है।

BLR Logistiks के डायरेक्टर अभिषेक गोयल ने कहा, “इस तैनाती ने हमें दक्षता बढ़ाने और उत्सर्जन घटाने में मदद की है। हम इस मॉडल को अन्य रूट्स पर भी लागू करने की योजना बना रहे हैं।”

आईकेईए (IKEA) के कुल कार्बन फुटप्रिंट का लगभग 5% हिस्सा परिवहन से आता है। कंपनी ने 2030 तक प्रति ट्रांसपोर्ट 70% उत्सर्जन घटाने और 2040 तक केवल जीरो-एमिशन हेवी-ड्यूटी ट्रकों का उपयोग करने का लक्ष्य रखा है। भारत में यह पहल IKEA की वैश्विक सप्लाई चेन को अधिक टिकाऊ बनाने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।

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