 
                            चीन से सप्लाई चेन में आई रुकावटों के बीच अब राहत की खबर आई है। कुछ भारतीय कंपनियों को चीन से रेयर अर्थ (दुर्लभ धातु) मैग्नेट आयात करने की अनुमति मिल गई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने गुरुवार को बताया, “कुछ भारतीय कंपनियों को चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट आयात के लिए लाइसेंस जारी किए गए हैं।”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिन कंपनियों को यह अनुमति मिली है उनमें Jay Ushin, De Diamond Electric India, Continental AG (जर्मनी) की भारतीय इकाई और Hitachi Astemo (जापान) शामिल हैं।
चीन ने अप्रैल 2025 से रेयर अर्थ मैग्नेट और इससे जुड़ी सामग्रियों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए थे, जिससे वैश्विक ऑटोमोबाइल सप्लाई चेन प्रभावित हुई थी। इसका असर भारत के इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र पर भी पड़ा, जो मोटर और सेंसर जैसे कंपोनेंट के लिए इन मैग्नेट्स पर निर्भर है।
बजाज ऑटो, टीवीएस मोटर और एथर एनर्जी जैसी कंपनियों को रॉ मैटेरियल की कमी से उत्पादन में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, अगर यह बाधा नहीं होती, तो त्योहारी सीजन की बिक्री कहीं बेहतर होती।
रेयर अर्थ मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक मोटर्स में हाई परफॉर्मेंस, कॉम्पैक्ट आकार और ऊर्जा दक्षता प्रदान करते हैं। चीन इस क्षेत्र में वैश्विक प्रमुख है, जो दुनिया के लगभग 60% रेयर अर्थ एलिमेंट्स का उत्पादन और 90% रिफाइनिंग क्षमता नियंत्रित करता है। भारत पिछले वर्ष चीन से लगभग 2,850 टन रेयर अर्थ मैग्नेट और अलॉय आयात करने वाला पाँचवां सबसे बड़ा देश था।
वर्तमान में आयात अनुमोदन की प्रक्रिया जटिल है, जिसमें यह प्रमाणित करना होता है कि मैटेरियल सैन्य उपयोग के लिए नहीं है। इसके लिए भारतीय मंत्रालयों और चीनी दूतावास से अनुमति लेनी पड़ती है। अभी भी 30 से अधिक भारतीय कंपनियों के आवेदन स्वीकृति की प्रतीक्षा में हैं।
फिलहाल, चीन केवल उपभोक्ता और नागरिक उपयोग के लिए ही लाइसेंस जारी कर रहा है, क्योंकि रेयर अर्थ तत्वों का उपयोग रक्षा क्षेत्र में भी होता है।
 
                             
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