NavPrakriti ने पूर्वी भारत में लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग यूनिट शुरू की

NavPrakriti ने पूर्वी भारत में लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग यूनिट शुरू की

NavPrakriti ने पूर्वी भारत में लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग यूनिट शुरू की
नवप्रकृति ग्रीन एनर्जी ने कोलकाता के पास पूर्वी भारत की पहली लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग यूनिट की शुरुआत की है। यह प्लांट प्रति माह 1,000 टन बैटरियों का प्रसंस्करण करेगा और ईवी व इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट मैनेजमेंट में आत्मनिर्भरता बढ़ाएगा।

 

नवप्रकृति ग्रीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड ने पूर्वी भारत की पहली लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग सुविधा की शुरुआत की है। यह यूनिट कोलकाता के पास स्थापित की गई है, जो अब इलेक्ट्रिक वाहनों, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और औद्योगिक उपकरणों से उत्पन्न होने वाले बैटरी वेस्ट को संसाधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

उद्योग के अनुमानों के अनुसार, भारत को 2030 तक हर वर्ष 12 लाख से अधिक ईवी बैटरियों को रीसायकल करने की आवश्यकता होगी, और यह संख्या 2040 तक 1.4 करोड़ तक पहुंच सकती है। भारत में लिथियम-आयन बैटरी की मांग वित्त वर्ष 2027 तक 54 गीगावाट घंटे तक पहुंचने का अनुमान है।

नवप्रकृति (NavPrakriti) के संस्थापक अखिलेश बगरिया ने कहा कि यह सुविधा भारत में बैटरी वेस्ट मैनेजमेंट के लिए एक स्वदेशी समाधान है। यह प्लांट सेंटर फॉर मटेरियल्स फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी (C-MET) द्वारा विकसित तकनीक पर आधारित है और सरकार की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पहल के अनुरूप है। वर्तमान में यह प्लांट हर महीने 1,000 टन बैटरियों का प्रसंस्करण करता है, जिसे भविष्य में 2,000 टन प्रतिमाह तक बढ़ाया जा सकता है।

यह यूनिट एल्यूमिनियम और कॉपर जैसे धातुओं को रिसाइकल करती है, साथ ही निकेल, कोबाल्ट, मैंगनीज और लिथियम युक्त मध्यवर्ती उत्पाद भी तैयार करती है। भविष्य में कंपनी बैटरी-ग्रेड केमिकल रिकवरी और सेकंड-लाइफ बैटरी रीफर्बिशमेंट की दिशा में विस्तार करने की योजना बना रही है।

सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन (National Critical Mineral Mission) के तहत 1,500 करोड़ रुपये की बैटरी रीसाइक्लिंग और रिफाइनिंग योजना की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य घरेलू रीसाइक्लिंग क्षमता बढ़ाना और आयातित क्रिटिकल मिनरल्स पर निर्भरता कम करना है।

नवप्रकृति अब बैटरी निर्माताओं, उपकरण निर्माताओं (OEMs) और थोक बैटरी उपभोक्ताओं के साथ विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) ढांचे के तहत साझेदारी कर रही है। यह सुविधा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को सेवा प्रदान करेगी।

वैश्विक स्तर पर बैटरी रीसाइक्लिंग बाजार 2030 तक 30 अरब डॉलर से अधिक का हो सकता है। फिलहाल भारत में उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम टावरों और बैकअप सिस्टम से निकलने वाली बैटरियाँ अपनी आयु पूरी कर रही हैं, जबकि पहली पीढ़ी की ईवी बैटरियाँ अगले 12 से 24 महीनों में वेस्ट स्ट्रीम में आने की संभावना है।

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