भारत तेजी से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में आगे बढ़ रहा है। परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं। इसी दिशा में नीति आयोग ने एक बड़ा कदम उठाया है। नीति आयोग ने हालही में भारत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडेक्स (India Electric Mobility Index - IEMI) का शुभारंभ किया था।
यह सूचकांक देश में ईवी नीति और प्रगति को ट्रैक करने वाला पहला उपकरण है, जो यह बताएगा कि कौन-से राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं और किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है।
IEMI लॉन्च: एक ऐतिहासिक पहल
भारत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडेक्स (IEMI) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) को उनके ईवी लक्ष्यों की दिशा में हुई प्रगति का आकलन करने में मदद करेगा और उन्हें एक-दूसरे से सीखने और प्रतिस्पर्धा करने का अवसर देगा।
भारत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडेक्स क्या है?
भारत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडेक्स (IEMI) एक ऐसा सूचकांक है, जिसे नीति आयोग ने तैयार किया है ताकि देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ईवी नीतियों, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, और रिसर्च इनोवेशन की प्रगति को ट्रैक किया जा सके।
यह सूचकांक तीन मुख्य विषयों पर आधारित है:
इलेक्ट्रिफिकेशन ट्रांसपोर्ट: इसमें यह देखा जाएगा कि राज्य कितनी तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों को अपना रहे हैं, जैसे कि इलेक्ट्रिक दोपहिया, तीनपहिया, चारपहिया और बसों की संख्या कितनी बढ़ी है।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की तैयारी: इस पैरामीटर में यह मापा जाएगा कि राज्य में चार्जिंग स्टेशन, बैटरी स्वैपिंग सुविधाएँ, और चार्जिंग नीति कितनी विकसित है।
ईवी रिसर्च एंड इनोवेशन: इस सेक्शन में देखा जाएगा कि राज्य स्तर पर ईवी निर्माण, अनुसंधान, विकास (R&D), और स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) कितनी मजबूत है।
इन तीन विषयों के अंतर्गत कुल 16 संकेतकों (Indicators) के आधार पर राज्यों का मूल्यांकन किया जाएगा और प्रत्येक राज्य को 100 में से अंक दिए जाएंगे।
IEMI की ज़रूरत क्यों पड़ी?
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने FAME योजना, PLI स्कीम, और राष्ट्रीय ईवी नीति जैसी कई पहलें शुरू की हैं। लेकिन ईवी को सफल बनाने के लिए केवल केंद्र नहीं, बल्कि राज्यों की भी बड़ी भूमिका होती है।
हर राज्य की परिस्थितियाँ अलग होती हैं- जैसे कि सड़क ढांचा, बिजली की उपलब्धता, निवेश माहौल, और उपभोक्ताओं की जागरूकता। ऐसे में, सभी राज्यों को एक समान मानक पर परखने और तुलना करने के लिए एक वैज्ञानिक तरीका जरूरी था।
यही कारण है कि नीति आयोग ने IEMI विकसित किया- ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन-सा राज्य ईवी को बढ़ावा देने में सबसे आगे है और किन राज्यों को और मेहनत की जरूरत है।
IEMI कैसे करेगा मदद?
भारत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडेक्स केवल आंकड़े देने का उपकरण नहीं है, बल्कि यह राज्यों को नीति-निर्माण (policy-making) में मदद करेगा।
नीतिगत निर्णयों में सहायता: यह सूचकांक राज्यों को यह समझने में मदद करेगा कि उनकी नीतियों का क्या असर हो रहा है और किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है।
स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा: जैसे ही राज्यों को पता चलेगा कि कौन-सा राज्य आगे है, अन्य राज्य बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होंगे। इससे सकारात्मक प्रतिस्पर्धा (Healthy Competition) बढ़ेगी।
सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान: यदि किसी राज्य ने चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर या नीति के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है, तो अन्य राज्य उससे सीख सकते हैं और उन नीतियों को अपने यहां लागू कर सकते हैं।
राष्ट्रीय लक्ष्य के साथ तालमेल: यह सूचकांक सुनिश्चित करेगा कि सभी राज्य भारत के नेट-जीरो उत्सर्जन 2070 लक्ष्य के अनुरूप आगे बढ़ें।
राज्यों की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?
परिवहन क्षेत्र में उत्सर्जन को कम करने के लिए केवल राष्ट्रीय नीतियां पर्याप्त नहीं हैं। राज्य सरकारें स्थानीय स्तर पर चार्जिंग नेटवर्क, टैक्स इंसेंटिव, वाहन रजिस्ट्रेशन छूट, और सार्वजनिक परिवहन में ईवी अपनाने जैसी पहलें करती हैं। इसलिए, राज्यों की सक्रिय भूमिका भारत की ईवी क्रांति को तेज़ और व्यापक बना सकती है। IEMI इस भूमिका को मजबूत करने में मदद करेगा।
IEMI का असर क्या होगा?
ईवी इकोसिस्टम का विकास: सूचकांक से चार्जिंग स्टेशन, बैटरी मैन्युफैक्चरिंग, और स्थानीय निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
निवेश आकर्षित होंगे: जब किसी राज्य का स्कोर अच्छा होगा, तो निवेशक वहां निवेश करने के लिए उत्सुक होंगे।
रोजगार सृजन: इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के विकास से बैटरी, सॉफ्टवेयर, चार्जिंग टेक्नोलॉजी, और सर्विस सेक्टर में लाखों रोजगार उत्पन्न होंगे।
पर्यावरण संरक्षण: ईवी को बढ़ावा देने से कार्बन उत्सर्जन घटेगा और शहरों में प्रदूषण कम होगा।
भारत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडेक्स को एक डायनेमिक टूल के रूप में डिजाइन किया गया है, जिसका मतलब है कि इसे समय-समय पर अपडेट किया जाएगा। जैसे-जैसे नई तकनीकें आएंगी, ईवी की मांग बढ़ेगी, और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार होगा, वैसे-वैसे IEMI राज्यों की प्रगति को ट्रैक करता रहेगा।
इससे भारत की ईवी नीतियों में निरंतर सुधार संभव होगा और देश 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ेगी।
निष्कर्ष
भारत इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडेक्स सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं, बल्कि भारत की ईवी यात्रा का दिशा-सूचक मानचित्र (roadmap) है। यह राज्य सरकारों को न केवल प्रगति का मूल्यांकन करने में मदद करेगा, बल्कि उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित भी करेगा।
इस पहल के साथ भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसकी ईवी क्रांति केवल केंद्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्यों, शहरों, और आम नागरिकों की साझी यात्रा है जो भारत को एक स्वच्छ, टिकाऊ और ऊर्जा-स्वतंत्र भविष्य की ओर ले जाएगी।