केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि भारत की चिप निर्माण क्षमता वर्ष 2032 तक अमेरिका, चीन और अन्य बड़े देशों के बराबर हो जाएगी। सरकार के India Semiconductor Mission (ISM) के तहत 10 अरब डॉलर (83,000 करोड़ रुपये) के निवेश से स्थानीय चिप मैन्युफैक्चरिंग, डिजाइन और टैलेंट डेवलपमेंट को बड़ा बढ़ावा मिल रहा है।
सिंगापुर में आयोजित Bloomberg New Economy Forum में बोलते हुए वैष्णव ने कहा, "2031-32 तक भारत उन देशों की बराबरी कर लेगा, जो आज इस क्षेत्र में अग्रणी हैं।"
भारत का सेमीकंडक्टर मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकार अब तक 10 बड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे चुकी है, जिनमें हाई-वॉल्यूम चिप फैब्स, 3D पैकेजिंग, कंपाउंड सेमीकंडक्टर (जैसे सिलिकॉन कार्बाइड) और OSAT यूनिट्स शामिल हैं। वैष्णव ने यह भी कहा कि भारत का लक्ष्य 2032 तक दुनिया के टॉप-5 सेमीकंडक्टर देशों में शामिल होना है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी सचिव एस. कृष्णन ने बताया कि केंद्र सरकार अब तक सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन इंसेंटिव के लिए तय की गई राशि 65,000 करोड़ रुपये में से 62,900 करोड़ रुपये (97%) बांट चुकी है। बाकी राशि से सिर्फ कुछ छोटे प्रोजेक्ट्स ही पूरे किए जा सकेंगे। चिप प्रोडक्शन के अलावा 10,000 करोड़ रुपये मोहाली की सेमीकंडक्टर लैब को आधुनिक बनाने और 1,000 करोड़ डिजाइन प्रोजेक्ट्स के लिए दिए गए हैं।
हालांकि भारत अभी भी ताइवान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका और जापान जैसे देशों से काफी पीछे है, लेकिन बढ़ते निवेश और स्टार्टअप्स तथा उद्योगों के सहयोग से स्थिति तेजी से बदल रही है। भारत की तीन चिप फैक्ट्रियां अगले साल से व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर देंगी।
हाल ही में केंद्र ने ISM के तहत चार और प्रोजेक्ट्स SiCSem, CDIL, 3D Glass Solutions, और ASIP Technologies को मंजूरी दी है। भारत का सेमीकंडक्टर बाजार भी तेज़ी से बढ़ रहा है और 2030 तक 100–110 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।