शिक्षा के क्षेत्रविस्तार के साथ-साथ यह बात भी विचारनीय है कि भारत में शिक्षा के भविष्य को टियर 2 और टियर 3 शहर कैसे आकार दे रहे हैं और शिक्षा का क्षेत्रविस्तार कैसे इन शहरों की विकास यात्रा को प्रभावित कर रहा है।
इस संदर्भ में बिरला ओपन माइंड्स के मैनेजिंग डायरेक्टर निर्वाण बिड़ला ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि “शिक्षा का क्षेत्रविस्तार करने के लिए भारत की अगली बड़ी छलांग सिर्फ महानगरों से नहीं आएगी, बल्कि भारत के हर एक कोने से आएगी जहां वो अपनी जड़ें लगातार जमा रही है। लर्निंग के मामले में आज टियर 2 और टियर 3 शहर अलग नहीं रह गए हैं। बल्कि वे उच्च-संभावना वाले क्षेत्रों के रूप में उभर रहे हैं, जहां आकांक्षाएं अवसरों से मिलती हैं और जहां गुणवत्तापूर्ण, भविष्य-तैयार शिक्षा की मांग तेजी से बढ़ रही है।
ये ऐसे स्थान हैं जहां शिक्षा को हल्के में नहीं लिया जाता, बल्कि उसे पूरे मनोयोग से प्राप्त किया जाता है।“ निर्वाण बिड़ला ने आगे कहा कि “ इस विकसित होते परिदृश्य में प्रगतिशील शिक्षा मॉडल चुपचाप प्रभाव डाल रहे हैं, शैक्षणिक उत्कृष्टता को मूल्य-आधारित विकास के साथ मिला रहे हैं। हम इसे देवास, त्रिवेंद्रम, नागपुर और लखनऊ के अपने स्कूलों में देख सकते हैं-जिनमें से प्रत्येक स्थानीय संदर्भ में निहित है, फिर भी वैश्विक दृष्टिकोण के द्वार खोल रहा है। इन प्रयासों को जो एक साझा विश्वास जोड़ता है, वह है कि बच्चे, चाहे किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में हों, ऐसी शिक्षा के हकदार हैं जो प्रासंगिक और भविष्य के लिए तैयार हो। ऐसी शिक्षा जो उन्हें न केवल परीक्षाओं में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए, बल्कि व्यापक दुनिया में आत्मविश्वास, सहानुभूति और उद्देश्य के साथ फलने-फूलने के लिए तैयार करे।"
बिड़ला ने आगे कहा "भारत की शिक्षा की कहानी केवल बोर्डरूम में नहीं लिखी जाएगी। इसे सुर्खियों से दूर, कक्षाओं में आकार दिया जा रहा है, जहां अक्सर वास्तविक बदलाव की शुरुआत होती है। सवाल यह नहीं है कि क्या टियर 2 और 3 शहर शिक्षा के भविष्य के लिए तैयार हैं। सवाल यह है कि क्या हम उस भविष्य में निवेश करने के लिए तैयार हैं जिसकी वे पहले से ही कल्पना कर रहे हैं।“
वर्तमान में बदलती शिक्षण व्यवस्था को देखकर यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा के क्षेत्रविस्तार में टियर 2 के विभिन्न शहर जैसे जयपुर, लखनऊ, कोयंबटूर, चंडीगढ़, इंदौर और टियर 3 के शहर नागपुर, पटना, भोपाल और भुवनेश्वर आदि का महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है, साथ ही शिक्षा के विस्तार से यह शहर भी बेजोड़ तरक्की हासिल कर रहे हैं।
मुख्य रूप से शिक्षा का विस्तार टियर 2 और टियर 3 शहरों को आर्थिक केंद्र के रूप में स्थापित करने, डिजिटल विभाजन को पाटने और स्थानीय प्रतिभाओं के विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है। शिक्षा के माध्यम से इन शहरों में बेहतर आधारभूत संरचना का विकास हो रहा है, जिसमें नए कॉलेज और विश्वविद्यालय शामिल हैं।
शिक्षा का टियर 2 और टियर 3 शहरों के विकास में योगदान
आर्थिक विकास: उच्च शिक्षा के विस्तार से इन शहरों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे वे निवेश के लिए आकर्षक केंद्र बन रहे हैं।, तकनीकी, स्वास्थ्य सेवा और वित्तीय क्षेत्रों में अवसर बढ़ रहे हैं, जिससे स्थानीय प्रतिभाओं को बड़े शहरों में जाने की आवश्यकता नहीं है।
बुनियादी ढांचे का विकास: नए शैक्षणिक संस्थानों, जैसे कि नए मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालय कैंपस, की स्थापना हो रही है, जिससे स्थानीय लोगों और आस-पास के क्षेत्रों के लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं।, शहरी गतिशीलता योजनाएं और बुनियादी ढाँचे का विकास भविष्य के लिए इन शहरों को तैयार कर रहा है।
डिजिटल विभाजन को पाटना: इंटरनेट और एडटेक प्लेटफॉर्म ने इन शहरों में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाया है, जिससे उन्हें अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और वैश्विक मानकों तक पहुंच है।, ऑनलाइन शिक्षा ने बड़े शहरों और छोटे शहरों के बीच के शिक्षा के अंतर को कम करने में मदद की है।
प्रतिभा विकास: शिक्षा के माध्यम से स्थानीय प्रतिभाओं को विकसित किया जा रहा है, जिससे वे रोजगार और करियर के अवसरों के लिए तैयार हो सकें।, सरकार और निजी कंपनियां इन शहरों में कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
सामाजिक प्रगति: बढ़ती साक्षरता दर और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार से सामाजिक प्रगति हो रही है।, सरकारी पहलों और निजी निवेश से शिक्षा के क्षेत्र में अधिक अवसर और पहुंच मिल रही है। अत: कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि शिक्षा टियर 2 और टियर 3 शहरों को भारत के आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए सशक्त बना रही है।