देर 2025 में वैश्विक मेमोरी चिप उद्योग अभूतपूर्व DRAM (Dynamic Random Access Memory) संकट का सामना कर रहा है। यह कमी लगभग सभी प्रकार की मेमोरी में फैल गई है, जिसमें यूएसबी ड्राइव और स्मार्टफोन्स के कंज्यूमर फ्लैश चिप्स से लेकर एआई डेटा सेंटर को पॉवर देने वाली उन्नत हाई-बैंडविड्थ मेमोरी (HBM) शामिल हैं। इसका मुख्य कारण है HBM और नेक्स्ट-जनरेशन सर्वर मेमोरी की बढ़ती मांग, जिससे उत्पादन में सीमाएँ, रिकॉर्ड-उच्च कीमतें और आपूर्ति में कमी देखी जा रही है।
एआई इंफ्रास्ट्रक्चर और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स से बढ़ती मांग वैश्विक आपूर्ति पर भारी पड़ रही है। दुनिया का सबसे बड़ा मेमोरी चिप सप्लायर SK Hynix का अनुमान है कि यह कमी देर 2027 तक बनी रह सकती है। भारत में भी एआई सर्वर्स और प्रीमियम डिवाइस पर इसका असर देखा जा रहा है।
भारत में डेटा सेंटर, एआई और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स के महत्वाकांक्षी योजना को देखते हुए, मेमोरी की कमी और बढ़ती कीमतें सप्लाई को टाइट, लीड टाइम लंबा और एआई सर्वर्स व प्रीमियम डिवाइस की लागत बढ़ा देंगी, जिससे कुछ डेटा सेंटर और एआई रोलआउट धीमे हो सकते हैं।
Sujay Shetty, MD, ESDM & Semiconductor, PwC India ने कहा, "मेमोरी चिप्स सर्वर लागत का 10–15 प्रतिशत होती हैं और मेमोरी की बढ़ती कीमत भारत के बड़े एआई/डेटा सेंटर प्रोजेक्ट्स की कैपेक्स बढ़ा देती है और रोलआउट धीमा कर देती है। हालांकि, भारत अन्य पहलुओं—जैसे अन्य क्षेत्रों की तुलनात्मक लागत, प्रतिभा की उपलब्धता आदि—के कारण प्रतिस्पर्धी बना रहेगा।"
मुख्य मेमोरी निर्माता—Samsung, SK Hynix और Micron—अपनी निवेश और उत्पादन रणनीति को AI-केंद्रित मेमोरी तकनीकों जैसे HBM और उन्नत LPDDR की ओर मोड़ रहे हैं। इस रणनीतिक बदलाव ने दैनिक इस्तेमाल की DRAM (PCs, फोन आदि में) के विस्तार को धीमा कर दिया है।
इस बीच, Nvidia, Google और Microsoft जैसे AI डेटा सेंटर अनोखी मांग पैदा कर रहे हैं और HBM और LPDDR का तेजी से उपभोग कर रहे हैं, जिससे कंज्यूमर PC, गेमिंग और स्मार्टफोन बाजारों को DRAM उपलब्धता के लिए पीछे धकेला जा रहा है। पारंपरिक मेमोरी सेगमेंट भी कमी का सामना कर रहे हैं।
DRAM कीमतों में पहले ही 18–25 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है, और 2026 की शुरुआत में और वृद्धि की उम्मीद है। Sujay Shetty ने कहा, "इस वजह से कई OEMs ने बजट लैपटॉप और मोबाइल फोन की कीमतें 10–15 प्रतिशत बढ़ा दी हैं। OEMs अब बेस RAM/configurations कम करने या लॉन्च में देरी करने पर विचार कर रहे हैं, खासकर मिड-टू-हाई-एंड सेगमेंट में।"
DRAM की बढ़ी कीमतों के कारण स्मार्टफोन के लो-, मिड- और हाई-एंड BoM लागत में क्रमशः लगभग 25%, 15% और 10% की वृद्धि हुई है। Counterpoint Research के अनुसार, 2026 की दूसरी तिमाही तक लागत में 10–15% और वृद्धि हो सकती है। वैश्विक स्मार्टफोन शिपमेंट अगले साल 2.1% घट सकता है क्योंकि मेमोरी चिप्स की कमी लागत बढ़ा रही है और उत्पादन को दबाव में डाल रही है। हैंडसेट्स की औसत बिक्री मूल्य अगले साल 6.9% बढ़ने की संभावना है, जो घटकों की कुल लागत में 10–25% की वृद्धि को दर्शाता है।
मेमोरी सॉल्यूशंस की मांग अब सबसे अधिक है, जो क्लाउड AI ट्रेनिंग, इन्फरेंसिंग और GenAI के स्मार्टफोन व लैपटॉप जैसी एज डिवाइसों पर विस्तार से प्रेरित है।
Neil Shah, इंडस्ट्री एनालिस्ट और Counterpoint Research के सह-संस्थापक ने कहा, "अब जो हम देख रहे हैं वह डर-आधारित मांग है। जैसे कोविड-19 महामारी के दौरान देखा गया, वैसी ही सट्टेबाज़ी वाली मांग असली कमी के साथ मिलकर कीमतों में तेज़ वृद्धि कर रही है। यह 'स्नोबॉल इफ़ेक्ट' अब नई सामान्य स्थिति बन गया है, क्योंकि बाजार केवल तीन-चार प्रमुख वैश्विक खिलाड़ियों द्वारा नियंत्रित है।"
यह संकट कॉमोडिटी कंज्यूमर मार्केट्स को निचले स्तर पर अधिक प्रभावित कर रहा है। जैसे-जैसे कमी बढ़ती है, बढ़ती लागत सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँच जाएगी। भारत में इसका मतलब है स्मार्टफोन और लैपटॉप की कीमतों में 10–20% वृद्धि। साथ ही, विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2026 में उन्नत मेमोरी की कीमतें अभी के स्तर से 50% तक बढ़ सकती हैं।
भारतीय उद्यमों के लिए—टेल्को से लेकर बड़े IT एआई डेटा सेंटर—यह अगले दो साल में इन्फ्रास्ट्रक्चर CAPEX को काफी बढ़ा देगा। Neil Shah के अनुसार, "इसके लिए व्यापक कंटिंजेन्सी प्लानिंग की आवश्यकता होगी।"
J.P. Morgan 2026 Memory Market Outlook के अनुसार, मेमोरी दिग्गजों का मार्केट कैप इस साल लगभग $1 ट्रिलियन तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2027 में $1.5 ट्रिलियन तक बढ़ सकता है।