आरबीआई ने 25 बेसिस पॉइंट की रेपो रेट कटौती की, महंगाई में गिरावट

आरबीआई ने 25 बेसिस पॉइंट की रेपो रेट कटौती की, महंगाई में गिरावट

आरबीआई ने 25 बेसिस पॉइंट की रेपो रेट कटौती की, महंगाई में गिरावट
आरबीआई ने 25 बीपीएस रेपो रेट कट कर ईज़िंग साइकिल को तेज़ किया है, जबकि मुद्रास्फीति ऐतिहासिक रूप से घटकर 0.3% पर आ गई है और GDP ग्रोथ 8.2% तक पहुंच गई है।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को 25 बेसिस पॉइंट की रेपो रेट कटौती की घोषणा की, जो फरवरी से अब तक चौथी कटौती है। यह कदम ऐसे समय आया है जब रुपये में तेज़ गिरावट दर्ज की गई और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले वह 90 रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भरोसा दिलाया कि भारतीय अर्थव्यवस्था "मजबूत, स्थिर और लचीली" बनी हुई है, जिसका आधार कम होती महंगाई और तेज़ी पकड़ती वृद्धि है।

तेज़ी से घटती महंगाई और आसान मौद्रिक नीति का संकेत

मल्होत्रा ने अपनी पॉलिसी स्टेटमेंट की शुरुआत असामान्य आशावाद के साथ करते हुए कहा कि वर्ष अब तक “बेहतर वृद्धि और सौम्य महंगाई” का रहा है। अक्टूबर में खुदरा महंगाई गिरकर सिर्फ 0.3% पर आ गई—यह गिरावट अधिकांश अर्थशास्त्रियों की अपेक्षाओं से कहीं अधिक थी। खाद्य कीमतों में स्थिरता, ईंधन की नरमी और कोर महंगाई में कमी ने इस तेज़ डिसइन्फ्लेशन में योगदान दिया।

RBI ने FY26 के लिए अपनी CPI महंगाई अनुमान को घटाकर 2% कर दिया, जो पहले 2.6% था।

Q3: 0.6% (पहले 1.8%)
Q4: 2.9% (पहले 4.0%)
Q1 FY27: 3.9%
Q2 FY27: 4.0%
वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि इस कटौती से उधारी लागत घटेगी, लिक्विडिटी बढ़ेगी और यील्ड कर्व में स्थिरता आएगी। भारतबॉन्ड्स के सह-संस्थापक विशाल गोयक़ा ने कहा कि लगातार घटती महंगाई आगे और कटौती के लिए जगह बनाती है।

स्टार्टअप और कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए ‘रॉकेट फ्यूल’

बिज़डेटअप के ग्रुप मैनेजिंग डायरेक्टर जीत मुकेश चंदन के अनुसार, रेपो रेट में यह कटौती भारतीय स्टार्टअप जगत के लिए “रॉकेट फ्यूल” साबित होगी। सस्ते क्रेडिट से उपभोक्ता मांग बढ़ेगी, MSME की लिक्विडिटी में सुधार होगा और फ़िनटेक, D2C, SaaS और मोबिलिटी स्टार्टअप्स को तेज़ गति मिलेगी।

JLL के मुख्य अर्थशास्त्री समंतक दास ने इसे भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति का “आत्मविश्वासी और आगे की सोच वाला निर्णय” बताया।

ग्रोथ में उछाल: 8.2% GDP ने बढ़ाई उम्मीदें

भारत ने Q2 में 8.2% GDP वृद्धि दर्ज की, जो उम्मीदों से काफी ज़्यादा थी। उत्सव-सीज़न की खरीदारी, विनिर्माण में सुधार और रेशनलाइज़्ड GST स्लैब्स ने वृद्धि को समर्थन दिया।

RBI ने वृद्धि के अनुमानों में बढ़ोतरी की:

FY26: 7.3% (पहले 6.8%)

Q3: 7.0%
Q4: 6.5%
Q1 FY27: 6.7%
Q2 FY27: 6.8%

ब्रिकवर्क रेटिंग्स के राजीव शरण के अनुसार यह कदम उधारी लागत कम करेगा और उच्च-ऋण वाले सेक्टर्स के लिए फायदेमंद होगा।

उधारकर्ताओं के लिए राहत, जमाकर्ताओं के लिए चिंता

नई कटौती के बाद रेपो रेट 5.25% हो गया है। बैंकों द्वारा EMIs में कमी लाने की उम्मीद है।

होमबायर्स को राहत—लोन सस्ता होगा

FD निवेशकों के लिए चिंता—बैंक जमा दरें घटा सकते हैं

बैंकर्स ने संकेत दिया है कि FD दरों में कमी लगभग तय है।

कमज़ोर रुपये और वैश्विक चुनौतियों के बीच संतुलन की चुनौती

जहाँ RBI विकास को सपोर्ट देने के लिए दरें कम कर रहा है, वहीं रुपये की कमजोरी और संभावित पूंजी बहिर्गमन चिंताएँ बढ़ा सकते हैं। हालांकि, गवर्नर मल्होत्रा का कहना है,

“भारतीय अर्थव्यवस्था अनिश्चित दुनिया में भी अलग दिखाई देती है। हमारा फोकस विकास को बनाए रखने और महंगाई को लक्ष्य के भीतर रखने पर है।”

विशेषज्ञों का मानना है कि यह “गोल्डीलॉक्स मोमेंट”—जहाँ महंगाई कम और विकास तेज़—बहुत कम समय तक रहता है और RBI को आने वाले महीनों में इसे बनाए रखने के लिए सावधानी से कदम उठाने होंगे।

Subscribe Newsletter
Submit your email address to receive the latest updates on news & host of opportunities