शिव सागर विरासत के निर्माण पर नारायण पुजारी के विचार

शिव सागर विरासत के निर्माण पर नारायण पुजारी के विचार

शिव सागर विरासत के निर्माण पर नारायण पुजारी के विचार
नारायण पुजारी की कहानी किसी बिजनेस प्लान या इन्वेस्टर डेक से शुरू नहीं हुई थी। इसकी शुरुआत एक छोटी सी रसोई, एक बड़े सपने और अपने ग्राहकों को प्यार, ईमानदारी और देखभाल से खाना खिलाने के एक साधारण से वादे से हुई थी, यही उनका पूरा बिजनेस मॉडल था।

एक दिन एक ग्राहक मेरे पास आया और बोला आप पाव भाजी क्यों नहीं शुरू करते? ...मैं इसे यहीं खाना चाहता हूं। इसके उत्तर में, मैंने मुस्कुराते हुए कहा चलो शुरू करते हैं।

इस किस्से को पुजारी ने विस्तार से बताया, जिन्होंने शिव सागर ग्रुप के साथ एक विरासत बनाई है जो अपनी स्वादिष्ट पाव भाजी के लिए मुंबई वासियों और भारतीयों के दिलों पर राज करता है। "मैं उस समय एक आइसक्रीम पार्लर चला रहा था, लेकिन मैंने 13 साल कैंटीन और होटलों में काम किया था। मैं पाव भाजी जानता था। मुझे उसके स्वाद पता थे और मैं ग्राहकों को भी जानता था" उन्होंने उस व्यंजन पर काम करते हुए, प्रयोग करते हुए और उसे निखारने तक दिन-रात मेहनत करते हुए बताया।

"उस पाव भाजी काउंटर ने मेरे जीवन की दिशा बदल दी, वहां से दक्षिण भारतीय, मैक्सिकन, उत्तर भारतीय, इ़टैलियन व्यंजन आए, हर व्यंजन ने एक नया द्वार खोला" उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा। कुछ प्रश्न हम दुनिया से पूछते हैं और कुछ प्रश्न हम स्वयं से पूछते हैं। उन्होंने कहा "मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात हमेशा यही रही है। आप किसी ब्रांड की आत्मा को खोए बिना उसका विस्तार कैसे कर सकते हैं?"

एक छोटी सी दुकान से एक बड़े सपने तक

पुजारी ने 1999 में एक छोटी सी दुकान से अपने सपनों के प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। एक साल बाद, उन्हें एहसास हुआ कि अब विस्तार का समय आ गया है। उन्होंने गर्व से बताया कि "मेरे गुरु और साथी, भागुभाई पटेल, मेरे साथ खड़े रहे और हमने मिलकर चर्चगेट में द ड्रीम रेस्टोरेंट के ठीक सामने अपना दूसरा आउटलेट खोला।" अब वह इस ब्रांड को वैश्विक स्तर पर ले जाने की सोच रहे हैं।

उनके लिए यह व्यवसाय अभिव्यक्ति, निरंतरता और थोड़ी ज़िद का प्रतीक था। 13 साल की उम्र में, कैंटीन में काम करते हुए और नाइट स्कूल जाते हुए, वह हर रात उस रेस्टोरेंट के पास से गुज़रता और मन ही मन सोचता कि किसी दिन ऐसा ही एक रेस्टोरेंट खोलूंगा। वहीं आज शिव सागर समूह कई शहरों में कई ब्रांडों के रूप में विकसित हो चुका है। हर अवधारणा अलग है, लेकिन दिल एक ही है।

प्रत्येक अवधारणा से सीखना 

हर ब्रांड की अपनी यात्रा, अपनी पहचान, अपने सबक होते हैं। "मैंने हर ब्रांड से कुछ न कुछ सीखा है और हर कॉन्सेप्ट की एक बिल्कुल अलग यात्रा होती है। यह अपनी सोच के साथ आता है। इस संदर्भ में उन्होंने बताया, जब शिव सागर ने उन्हें अनुशासन, रेसिपी और पहचान सिखाई। महेश लंच होम, जहां वे साझेदारों में से एक हैं, ने उन्हें समुद्र का सम्मान करना सिखाया उसकी

ताजगी, उसकी परंपरा, बटरफ्लाई हाई, जहां उन्होंने अपनी बेटियों निकिता और अंकिता के साथ मिलकर काम किया। उन्हें एक परिवार के रूप में निर्माण का आनंद सिखाया और निश्चित रूप से, सबसे नए बच्चे, काइमा, कैफ़े-एंड-बार कॉन्सेप्ट ने उन्हें सिखाया कि अगली पीढ़ी कैसे सोचती है।

"हमने कभी संख्याओं के पीछे नहीं भागा। हम अनुभवों के पीछे भागे क्योंकि मेरे लिए आगे बढ़ना कोई दौड़ नहीं है। यह बिरयानी पकाने जैसा है, धीमी आंच, धैर्य और आत्मा" उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा जब वे काइमा और बटरफ्लाई को हैदराबाद जैसे दूसरे बाज़ारों में ले गए जहां दोनों बेटियों ने कॉलेज में अपना समय बिताया था।

स्केलिंग का असली राज ये

युवा उद्यमी अक्सर पूछते हैं "हम तेजी से स्केल कैसे बढ़ाए?" उन्होंने हंसते हुए आगे कहा कि वे हमेशा उन्हें बताते हैं कि स्केलिंग आसान है, स्केल को बनाए रखना ही असली चुनौती है। हर दिन, वही ऊर्जा, वही स्वाद, वही अनुशासन यही असली परीक्षा है।

लोग सोचते हैं कि निरंतरता का मतलब नियंत्रण है, लेकिन निरंतरता नियंत्रण से नहीं आती। निरंतरता देखभाल से आती है और देखभाल का एक हिस्सा स्वच्छता है। "मैं अपनी टीम से कहता हूं कि जगह को ऐसे साफ रखें जैसे आपका परिवार किसी दावत में आ रहा हो।" लेकिन असल में किसी रेस्टोरेंट का असली उत्पाद खाना नहीं, बल्कि लोग होते हैं। उन्होंने कहा "हमारे शेफ, हमारे मैनेजर, हमारे सर्वर ब्रांड की धड़कन हैं। मेहमान शायद खाए हुए व्यंजन को भूल जाएं, लेकिन वे कभी नहीं भूलेंगे कि उन्होंने उन्हें कैसा महसूस कराया।"

एक दीर्घकालिक विरासत

इस उद्योग में 35 साल बिताने के बाद मैं चार सच्चाइयां साझा करना चाहता हूं- रचनात्मकता से ज्यादा जरूरी है निरंतरता, ट्रेंड के पीछे मत भागो क्योंकि ट्रेंड फीके पड़ जाते हैं लेकिन भरोसा बना रहता है और किसी समस्या को कभी भी बड़ा मत बनाओ पहले उसका समाधान करो।

हमेशा कर्मचारियों के साथ परिवार जैसा व्यवहार करो, लेकिन व्यवसाय को पारिवारिक ड्रामा मत बनाओ और सबसे बड़ा राज है उपस्थिति, जैसे-जैसे ब्रांड बढ़ता है, मालिक फर्श और रसोई में जो देखता है, उसके आधार पर बढ़ता है। और हमारा मिशन साफ है, भारतीय स्वाद और भारतीय आतिथ्य को दुनिया भर में पहुंचाना।

हम सिर्फ खाने का निर्यात नहीं करना चाहते, बल्कि हम भारतीय खाने के टेस्ट को विश्व स्तर पर निर्यात करना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य स्वाद, परंपरा और दिल की एक ऐसी विरासत बनाना है जो महाद्वीपों तक पहुंचे और लोगों के लिए हमेशा यादगार रहे।

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