भारत में स्मार्ट आईवियर: अगली पीढ़ी का वियरेबल टेक

भारत में स्मार्ट आईवियर: अगली पीढ़ी का वियरेबल टेक

भारत में स्मार्ट आईवियर: अगली पीढ़ी का वियरेबल टेक
भारत में वियरेबल टेक फिटनेस बैंड और स्मार्टवॉच से आगे बढ़कर स्मार्ट आईवियर की ओर बढ़ रहा है, जहाँ AI और कैमरा-आधारित ग्लासेस तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे हैं।

कंज़्यूमर टेक स्पेस में वियरेबल सेगमेंट अब धीरे-धीरे फिटनेस बैंड और स्मार्टवॉच से आगे बढ़ रहा है। स्मार्ट रिंग जैसे प्रोडक्ट्स पहले ही लोकप्रियता हासिल करने लगे हैं। इसी कड़ी में एक नया और अहम कैटेगरी है स्मार्ट आईवियर, जिसके कंज़्यूमर और एंटरप्राइज़—दोनों सेगमेंट में बड़े स्तर पर अपनाए जाने की संभावना है।

फिलहाल भारत में स्मार्ट आईवियर के विकल्प सीमित हैं। मेटा ने देश में Ray-Ban Meta ग्लासेस लॉन्च किए हैं। हाल ही में Oakley Meta HSTN AI ग्लासेस भी भारत में पेश किए गए, जिनमें लंबी बैटरी लाइफ, AI वॉइस, वर्नाक्युलर सपोर्ट और UPI Lite पेमेंट फीचर्स की टेस्टिंग जैसे फीचर्स शामिल हैं। इसके अलावा Focally, Noise (i1) और Xreal (Air) जैसे ब्रांड्स भी भारत में स्मार्ट आईवियर ऑफर कर रहे हैं।

हालांकि, इस सेगमेंट को सबसे बड़ा बूस्ट लेंसकार्ट से मिलने की उम्मीद है। हाल ही में शेयर बाज़ार में लिस्ट हुई यह आईवियर रिटेलर कंपनी AI और Qualcomm के Snapdragon प्रोसेसर से पावर्ड ‘B by Lenskart Smart Glasses’ लॉन्च करने की तैयारी में है।

शेयरहोल्डर्स को लिखे पत्र में, लेंसकार्ट के फाउंडर पीयूष बंसल ने कहा कि यह आईवियर इस बात का उदाहरण है कि भारत अगली पीढ़ी की कंज़्यूमर टेक्नोलॉजी में नेतृत्व कर सकता है—ऐसे प्रोडक्ट्स के ज़रिये जो इंटेलिजेंट, पर्सनल और ग्लोबली प्रासंगिक हों।

कंपनी ने बताया,“Q4 FY26 में हम B—हमारे AI-पावर्ड कैमरा स्मार्ट ग्लासेस—लॉन्च करेंगे। हमें विश्वास है कि स्मार्ट ग्लासेस लोगों के विज़न और टेक्नोलॉजी को देखने के तरीके को पूरी तरह बदल देंगे। प्रिस्क्रिप्शन आईवियर की तरह ही, हम फुल-स्टैक अप्रोच अपना रहे हैं, जिसमें हार्डवेयर डिज़ाइन, सॉफ्टवेयर और मोबाइल ऐप डेवलपमेंट इन-हाउस किया जा रहा है, जिसे Gemini AI प्लेटफॉर्म पावर करेगा। इससे हमें पूरे डेटा इकोसिस्टम पर नियंत्रण मिलेगा।”

कंपनी के अनुसार, ये स्मार्ट ग्लासेस Qualcomm के AR1 प्रोसेसर पर आधारित होंगे और प्रिस्क्रिप्शन लेंस सपोर्ट करेंगे। पहले वर्ज़न में UPI पेमेंट्स, हेल्थ मॉनिटरिंग (फूड लॉगिंग और सुझावों के साथ), फोटो-वीडियो कैप्चर, रियल-टाइम ऑब्जेक्ट स्कैनिंग, ट्रांसलेशन और पर्सनलाइज़्ड रिकमेंडेशंस जैसे फीचर्स मिलेंगे। लेंसकार्ट डेवलपर्स को भी ‘B Smart Glasses’ के लिए नए फीचर्स बनाने के लिए आमंत्रित कर रहा है।

लेंसकार्ट ने यह भी कहा कि वह स्मार्ट ग्लासेस, एडैप्टिव लेंस, RFID-इनेबल्ड स्टोर्स और TangoEye के ज़रिये AI-पावर्ड इन-स्टोर एनालिटिक्स में निवेश कर रहा है।“करीब 500 टेक प्रोफेशनल्स—AI/ML, इंजीनियरिंग, रोबोटिक्स, कंप्यूटर विज़न, सप्लाई चेन सिस्टम्स और ऑप्टोमेट्री प्लेटफॉर्म्स—इन सभी इनोवेशंस को बनाते और संभालते हैं,” कंपनी ने कहा।

कंज़्यूमर, क्रिएटर और एंटरप्राइज़ पर ध्यान

काउंटरप्वाइंट रिसर्च (Counterpoint Research) के अनुसार, भारत में स्मार्ट ग्लासेस की शिपमेंट्स CY2025 में सालाना 16 गुना तक बढ़ सकती हैं, जिससे साफ है कि यह कैटेगरी पायलट फेज़ से निकलकर अर्ली मेनस्ट्रीम की ओर बढ़ रही है। AI-कैमरा स्मार्ट ग्लासेस की मांग कंटेंट क्रिएटर्स और शहरी, संपन्न प्रोफेशनल्स में ज़्यादा है, जबकि ऑडियो-फर्स्ट ग्लासेस की मांग कम्यूटर्स, फिटनेस/आउटडोर यूज़र्स और गिफ्टिंग सेगमेंट में व्यापक है।

भारत में कई लोग स्मार्ट आईवियर को एक नॉवेल्टी के तौर पर भी खरीद रहे हैं—खासकर सोशल मीडिया के लिए कंटेंट बनाने के लिए। Meta के स्मार्ट ग्लासेस से बना कंटेंट सीधे Instagram पर शेयर किया जा सकता है, जिससे यह डिवाइस क्रिएटर्स के लिए बेहद उपयोगी बन जाती है।

एंटरप्रेन्योर इंडिया से बात करते हुए, Meta स्मार्ट आईवियर की यूज़र और कंटेंट क्रिएटर नंदिनी ने कहा,“हम बहुत वीडियो बनाते हैं, और स्मार्ट ग्लासेस फोन निकालने, कैमरा ऑन करने और वीडियो मोड सेट करने की झंझट खत्म कर देते हैं। तब तक अक्सर पल निकल जाता है।”

उन्होंने आगे कहा,“मेरे काम में वीडियो ज़रूरी हैं, इसलिए यह बड़ा प्लस है। साथ ही, इसमें ईयरफोन की ज़रूरत नहीं होती। आवाज़ बाहर नहीं जाती क्योंकि स्पीकर चश्मे के ऊपर होते हैं, कान में नहीं—आसपास के लोगों को पता भी नहीं चलता कि आप क्या सुन रहे हैं।”

हालाँकि, अभी स्मार्ट ग्लासेस में रिकॉर्डिंग की कुछ सीमाएं हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी के बेहतर होने के साथ ये कम होती जाएंगी। भविष्य में यह GoPro जैसे डिवाइसेज़ को भी चुनौती दे सकते हैं।

एंटरप्राइज़ सेगमेंट में बड़ी संभावना

स्मार्ट आईवियर का एंटरप्राइज़ उपयोग पहले ही साबित हो चुका है। Google Glass इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। 2012 में लॉन्च हुआ कंज़्यूमर वर्ज़न भले सफल न रहा हो, लेकिन Google Glass Enterprise Edition को मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर्स में बड़े पैमाने पर अपनाया गया।

जीई (GE) और बोइंग (Boeing) जैसी कंपनियों में असेंबली डिटेल्स दिखाने के लिए,  बीएमडब्ल्यू (BMW) में इन्वेंट्री मैनेजमेंट के लिए और Porsche में ग्लोबल टेक्नीशियंस के बीच कोऑर्डिनेशन के लिए Google Glass का इस्तेमाल हुआ। DHL ने वेयरहाउसिंग में हैंड्स-फ्री पिकिंग के लिए इसका उपयोग किया, जिससे प्रोडक्टिविटी में बड़ा सुधार देखा गया।

भारत में स्मार्ट आईवियर का भविष्य

भारत में भी स्टार्टअप्स इस दिशा में प्रयोग कर रहे हैं। Proxgy ने ब्लू-कॉलर वर्कफोर्स के लिए SmartHat विकसित किया है, जबकि AjnaLens XR हेडसेट्स पर काम कर रही है। हालाँकि, इनका फॉर्म फैक्टर Meta के स्मार्ट ग्लासेस से अलग है।

इसके अलावा, रिलायंस जियो ने भी ‘JioFrames’ नाम से स्मार्ट आईवियर पेश किया है, जिसे Meta के ग्लासेस का देसी विकल्प बताया जा रहा है। कंपनी के AGM में अगस्त में आकाश अंबानी ने कहा,

“JioFrames एक AI-पावर्ड वियरेबल प्लेटफॉर्म है, जिसे भारत के लिए बनाया गया है। यह कई भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करता है और Jio AI वॉइस असिस्टेंट के साथ हैंड्स-फ्री अनुभव देता है।”

स्पष्ट है कि यह टेक्नोलॉजी अभी शुरुआती दौर में है और आने वाले समय में कई इटरेशन से गुज़रेगी। जनरेटिव AI, वॉइस कमांड्स, कॉन्टेक्स्चुअल सर्च और UPI पेमेंट्स जैसी इनोवेशंस इसके साथ और गहराई से जुड़ेंगी।

काउंटरप्वाइंट रिसर्च (Counterpoint Research) की सीनियर एनालिस्ट अंशिका जैन के अनुसार,“ऑडियो-फर्स्ट स्मार्ट आईवियर की कीमतें घरेलू ब्रांड्स और लोकल डिस्ट्रीब्यूशन के चलते तेज़ी से कम होंगी, जबकि कैमरा + AI ग्लासेस फिलहाल प्रीमियम बने रहेंगे।”उन्होंने यह भी कहा कि कीमतों में बड़ी गिरावट लोकल असेंबली और बड़े पैमाने पर उत्पादन के बाद ही संभव होगी।

“लेंसकार्ट के ‘B’ और QWR के Humbl जैसे आगामी AI ग्लासेस के साथ, अगला ग्रोथ साइकिल ऑडियो एक्सेसरी से हटकर AI-लेड स्मार्ट ग्लासेस की ओर जाएगा,” उन्होंने निष्कर्ष निकाला।

 

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