इंडिया ब्लॉकचेन वीक 2025 में हुई एक खास सेशन "Stablecoins in Everyday Life: From On-Ramp to Real World Usage" में Tether, Mudrex और Lysto के प्रमुखों ने बताया कि स्टेबलकॉइन्स कैसे एक क्रिप्टो टूल से बढ़कर अब एक मुख्यधारा की वित्तीय तकनीक बनते जा रहे हैं। इस बातचीत को Entrepreneur India & APAC के एडिटोरियल डायरेक्टर सचिन मर्या ने मॉडरेट किया।
स्टेबलकॉइन्स की तेज़ बढ़त
सचिन मर्या ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि स्टेबलकॉइन्स अब सिर्फ क्रिप्टो खरीदने का तरीका नहीं, बल्कि एक बड़ी वित्तीय हाईवे बन चुके हैं। आज ये रिमिटेंस, ई-कॉमर्स, दैनिक भुगतान और वैश्विक लेनदेन में तेजी से इस्तेमाल हो रहे हैं।
वर्ष 2025 के अंत तक स्टेबलकॉइन मार्केट 300 अरब डॉलर के पार पहुँच चुका है। फरवरी 2024 से फरवरी 2025 के बीच इसमें 63% की सालाना वृद्धि देखी गई। इसी दौरान हर महीने होने वाले स्टेबलकॉइन ट्रांसफर 1.9 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 4.1 ट्रिलियन डॉलर हो गए। एक्टिव वॉलेट एड्रेस भी 19.6 मिलियन से बढ़कर 30 मिलियन हो गए। ये आंकड़े दिखाते हैं कि स्टेबलकॉइन्स का दायरा कितना व्यापक हो गया है।
USDT की दुनिया भर में पकड़
Tether की रीजनल एक्सपेंशन लीड (APAC) क्विन्ह ले ने बताया दुनिया भर में 500 मिलियन से ज़्यादा यूज़र्स USDT का इस्तेमाल कर रहे हैं। USDT का मार्केट कैप लगभग 185 अरब डॉलर है। कई देशों में USDT पहले पहुँच जाता है और कंपनी बाद में, यानी इसकी मांग खुद-ब-खुद बढ़ रही है।
उन्होंने बताया कि उभरते देशों में लोग अब स्टेबलकॉइन्स को सिर्फ निवेश नहीं, बल्कि व्यापार, रेमिटेंस, सप्लाई चेन और अन्य वित्तीय जरूरतों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। नए नियम आने से संस्थानों में भी इसका भरोसा बढ़ा है।
रेमिटेंस में क्रांति: UPI जैसा फास्ट ग्लोबल पेमेंट
मुड्रेक्स (Mudrex) के सीईओ एडुल पटेल ने कहा कि स्टेबलकॉइन्स वित्तीय सेवाओं में एक बड़ी संरचनात्मक बदलाव ला रहे हैं। उनके मुताबिक इससे पैसे का लेनदेन लगभग तुरंत हो जाता है—जैसे UPI, लेकिन वैश्विक स्तर पर। पारंपरिक बैंकिंग में 3–5% तक फीस लगती है, जबकि स्टेबलकॉइन ट्रांजैक्शन में 10 बेसिस पॉइंट से भी कम, यानी बहुत सस्ता। पटेल के अनुसार, स्टेबलकॉइन्स “बैंकिंग को बैंक से अलग कर देते हैं”—यानि बिना मध्यस्थों के तेज़ और सस्ता लेनदेन।
गेमिंग इंडस्ट्री के लिए नया "गेमिंग डॉलर"
लिस्टो (Lysto) के सह-संस्थापक फहीम अहमद ने बताया कि गेमिंग इंडस्ट्री के लिए एक विशेष स्टेबलकॉइन की जरूरत है। गेमिंग दुनिया भर में फैली है, इसलिए पेमेंट तेज़ और बिना रुकावट होना जरूरी है। कंपनियाँ पहले से ही अनौपचारिक रूप से स्टेबलकॉइन्स से इंफ्लुएंसर और क्रिएटर्स को पेमेंट कर रही हैं। नया "गेमिंग डॉलर" इस सिस्टम को औपचारिक बनाएगा।
नियमों में स्पष्टता: जोखिम से समाधान की ओर
अहमद ने कहा कि अभी भी स्टेबलकॉइन्स के लिए नियम देश-दर-देश अलग हैं। पटेल ने जोड़ा कि भारत को अपनी जरूरतों और स्थितियों के हिसाब से नियम बनाने चाहिए, न कि किसी दूसरे देश के नियमों की नकल। सचिन मर्या ने यह भी कहा कि दुनिया भर के रेगुलेटर अब स्टेबलकॉइन्स को खतरे की बजाय उपयोगिता के आधार पर देख रहे हैं।
स्टेबलकॉइन्स हो रहे हैं मुख्यधारा
पैनल के सभी सदस्यों ने माना कि स्टेबलकॉइन्स का इस्तेमाल अब दूर की बात नहीं, बल्कि यहीं और अभी हो रहा है—रेमिटेंस, गेमिंग, ट्रेड, फाइनेंस से लेकर टोकनाइज्ड एसेट्स तक।
Tether की क्विन्ह ने कहा: “दुनिया में 3 अरब लोग बैंकिंग सिस्टम से बाहर हैं। हमारा लक्ष्य है कि स्टेबलकॉइन्स उनके लिए वित्तीय पहुंच आसान बनाए।”