भारत का फिनटेक इकोसिस्टम 2026 में एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां केवल तेज़ ग्रोथ और स्केल ही सफलता का पैमाना नहीं रह गया है, बल्कि अनुपालन (कंप्लायंस), रिस्क मैनेजमेंट और सस्टेनेबल यूनिट इकोनॉमिक्स निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, FY25 में डिजिटल पेमेंट ट्रांजैक्शंस 180 अरब के पार पहुंच गए, जिसमें UPI की अहम भूमिका रही। हालांकि, RBI और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) की रिपोर्ट्स ने यह भी संकेत दिया है कि जैसे-जैसे फिनटेक कंपनियां क्रेडिट, वेल्थ और बैंकिंग सेवाओं में विस्तार कर रही हैं, वैसे-वैसे ऑपरेशनल और फ्रॉड से जुड़े जोखिम भी बढ़ रहे हैं।
जीटा (Zeta) के को-फाउंडर, APAC सीईओ और ग्लोबल सीटीओ रामकी गड्डापाटी ने कहा कि 2025 भारत के फिनटेक सेक्टर के लिए मजबूत रहा है और 2026 एक निर्णायक वर्ष साबित होगा।
उन्होंने कहा, “पेमेंट्स, लेंडिंग, एम्बेडेड फाइनेंस और बैंकिंग के बीच की सीमाएं तेजी से धुंधली हो रही हैं। अब असली वैल्यू केवल स्केल से नहीं, बल्कि पूरे फाइनेंशियल स्टैक में ऑपरेशनल एफिशिएंसी से आएगी।”
रेगुलेशन अब एक अस्थायी चुनौती नहीं, बल्कि संरचनात्मक ताकत के रूप में उभर रहा है। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट, जिसे MeitY, RBI, SEBI और IRDAI जैसे रेगुलेटर्स के जरिए लागू किया जा रहा है, यह तय करेगा कि वित्तीय संस्थान डेटा फ्लो, कंसेंट और थर्ड-पार्टी वेंडर रिलेशनशिप्स को कैसे मैनेज करते हैं।
साइबरसिग्मा कंसल्टिंग (CyberSigma Consulting) की को-फाउंडर नेहा अब्बाद ने कहा, “DPDP एक्ट पर्सनल डेटा की सुरक्षा और भरोसे के निर्माण के लिए बेहद अहम है। अनुपालन न होने पर कंपनियों को जुर्माना, डेटा ब्रीच, ग्राहकों की हानि और प्रतिष्ठा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।”
रामकी गड्डापाटी ने आगे कहा कि RBI द्वारा मजबूत मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और थर्ड-पार्टी रिस्क ओवरसाइट पर दिया जा रहा जोर वैश्विक मानकों के अनुरूप है। इसे बाधा नहीं, बल्कि इकोसिस्टम में भरोसा और मजबूती बढ़ाने के अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए।
तकनीक के मोर्चे पर भी बदलाव साफ है। NASSCOM और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के सर्वे के अनुसार, APAC क्षेत्र की 60% से अधिक फाइनेंशियल सर्विस कंपनियां AI-आधारित ऑटोमेशन को प्राथमिकता दे रही हैं, खासकर सर्विसिंग, फ्रॉड प्रिवेंशन और ऑपरेशनल एफिशिएंसी के लिए।
गड्डापाटी के अनुसार, “AI कलेक्शंस, अंडरराइटिंग सपोर्ट और ऑपरेशंस में बड़ा बदलाव लाएगा। साथ ही KYC, ऑथेंटिकेशन और फ्रॉड प्रिवेंशन में सुधार डिजिटल फाइनेंशियल सर्विसेज़ पर भरोसा और पहुंच को और बढ़ाएगा।”
कुल मिलाकर, 2026 में भारत का फिनटेक सेक्टर स्केल से आगे बढ़कर मुनाफे, अनुपालन और सहयोग आधारित मॉडल्स पर केंद्रित होगा, जहां बैंकों, फिनटेक्स और टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर्स के बीच साझेदारी पहले से कहीं ज्यादा अहम होगी।