भारत अब सिर्फ एक उपभोक्ता बाजार नहीं बल्कि क्रिएटर्स का केंद्र बनने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। विनिर्माण से लेकर उन्नत तकनीकों तक, देश अपनी पहचान केवल “बैक ऑफिस” तक सीमित नहीं रखना चाहता। यह बदलाव बौद्धिक संपदा (IP) सहित विभिन्न क्षेत्रों में भी दिख रहा है। हाल ही में जारी TCS-CII रिपोर्ट “Artificial Intelligence and Intellectual Property - Navigating Opportunities and Challenges in a Transformative Era” में यह स्पष्ट किया गया है कि भारत न केवल नवीनतम तकनीक का उपयोग कर रहा है, बल्कि उसे सृजन और स्वामित्व भी कर रहा है।
भारत में AI पेटेंटिंग के ट्रेंड
रिपोर्ट के अनुसार, 2018 के बाद भारत में AI पेटेंट फाइलिंग में काफी वृद्धि हुई है। 2019 से अब तक 83,059 पेटेंट फाइल किए गए हैं, जबकि 2010-2018 में केवल 3,931 पेटेंट दर्ज हुए थे।
हालांकि संख्या बढ़ रही है, छोटे और मझोले उद्यम (MSMEs) IP सुरक्षा में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जैसे तकनीकी जटिलताएं, अस्पष्ट स्वामित्व और बदलती कानून व्यवस्था।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में जनरेटिव AI पेटेंट का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। इसके अलावा, AI एजेंट और एजेंटिक AI पेटेंट भी उभर रहे हैं। ये रुझान दर्शाते हैं कि AI-आधारित नवाचार अब प्रक्रियाओं को स्वचालित करने, निर्णय लेने की क्षमता सुधारने और ग्राहक अनुभव को व्यक्तिगत बनाने पर केंद्रित हैं।
प्रमुख पेटेंट आवेदक
भारत में शीर्ष 10 पेटेंट आवेदकों में शामिल हैं: Samsung Electronics, Chandigarh University, Jain Deemed to be University, Qualcomm Inc, Galgotias University, Teerthanker Mahaveer University, Lovely Professional University, Sanskriti University, Tata Consultancy Services Ltd, और Chandigarh Group of Colleges।
हाल के फाइलिंग में जनरेटिव AI पेटेंट का हिस्सा 14.51% है, जबकि AI एजेंट पेटेंट अभी भी प्रारंभिक चरण में हैं। घरेलू आवेदकों द्वारा पेटेंट फाइलिंग में लगातार वृद्धि देखी गई है, जो 2019 में 53% से बढ़कर 2024 में 82% हो गई। अब तक लगभग 13% AI पेटेंट स्वीकृत हो चुके हैं, और स्वीकृति दर 0.7% से बढ़कर 32% हो गई है।
जनरेटिव AI का प्रभाव
चैटजीपीटी और अन्य जनरेटिव AI प्लेटफॉर्म्स के आगमन के बाद, भारतीय कंपनियां तेजी से प्रतिक्रिया दे रही हैं। रिपोर्ट में उल्लेख है कि भारत में नवप्रवर्तक अब साधारण AI से उन्नत और इन्ट्यूटिव जनरेटिव AI की ओर बढ़ रहे हैं। भारतीय कंपनियां Generative Adversarial Networks (GANs) और Large Language Models (LLMs) में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं।
अब भारत में अधिकांश जनरेटिव AI पेटेंट टेक्स्ट डेटा पर आधारित हैं, जो भाषा मॉडल और टेक्स्ट प्रोसेसिंग तकनीकों के विकास को दर्शाते हैं। टेक्स्ट आधारित पेटेंट जनरेटिव AI पेटेंट का लगभग 64% हिस्सा बनाते हैं। इसके अलावा, स्पीच, साउंड और म्यूजिक से संबंधित पेटेंट लगभग 20% हैं। इमेज-आधारित और अन्य मोड के पेटेंट भी उभर रहे हैं।
AI एजेंट्स और एजेंटिक युग
हालांकि जनरेटिव AI ने काफी ध्यान आकर्षित किया है, AI एजेंट्स में भी रुचि बढ़ रही है। पिछले कुछ वर्षों में AI एजेंट पेटेंट की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
टीसीएस (TCS) के Ashvini Saxena, VP और Head, ने कहा, “जनरेटिव AI, एजेंटिक सिस्टम और LLMs उद्योगों को बदल रहे हैं। भारत को अपने तकनीकी प्रतिभा पूल का लाभ उठाकर नवाचार, मजबूत IP प्रबंधन और उद्यमिता के माध्यम से तेजी से आगे बढ़ना चाहिए।”
सीईई (CII) के Vivek Shah ने कहा कि उद्योग को नवाचार और IP को विकास के प्रमुख ड्राइवर के रूप में अपनाना चाहिए। सरकार का सहयोग, नीति ढांचा, प्रोत्साहन और इंफ्रास्ट्रक्चर छोटे और मझोले व्यवसायों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद करेगा।
भविष्य: चुनौतियां और अवसर
एआई AI पेटेंट फाइलिंग में वृद्धि के बावजूद MSMEs अभी शुरुआती चरण में हैं। बड़ी कंपनियां AI का उपयोग स्वचालन के लिए कर रही हैं, जबकि MSMEs के पास सीमित संसाधन और कौशल हैं। AI इन्फ्रास्ट्रक्चर की लागत एक बाधा है, हालांकि क्लाउड आधारित समाधान इसे सस्ता और सुलभ बना रहे हैं। डेटा सुरक्षा की कमी भी चिंता का विषय है।
रिपोर्ट में नैतिक AI उपयोग और IP सुरक्षा मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। नीति निर्धारकों को स्पष्ट दिशा-निर्देश देने चाहिए ताकि बड़े उद्यम और MSMEs सभी सेक्टरों में AI को अपनाने और स्केल करने में सक्षम हों।
निष्कर्ष:
भारत अब केवल AI का उपयोग करने वाला देश नहीं है, बल्कि AI के नवप्रवर्तन, पेटेंट और IP अधिकारों में सक्रिय क्रिएटर बनता जा रहा है। जनरेटिव AI, AI एजेंट्स और LLMs के माध्यम से भारत वैश्विक AI हब बनने की दिशा में अग्रसर है।