भारत का मोटर इंश्योरेंस बाजार FY26 में एक अहम बदलाव के दौर से गुज़रा, जिसका प्रमुख कारण इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का तेज़ विस्तार, उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताएं और यूसेज-बेस्ड इंश्योरेंस मॉडल्स का उभरना रहा। यह जानकारी पॉलिसीबाज़ार द्वारा जारी FY26 मोटर इंश्योरेंस ट्रेंड्स रिपोर्ट में सामने आई है, जिसमें विभिन्न वाहन सेगमेंट्स के कस्टमर बिहेवियर और पॉलिसी डेटा का विश्लेषण किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, FY26 में मोटर इंश्योरेंस के भीतर इलेक्ट्रिक वाहन सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला सेगमेंट बनकर उभरे। ईवी इंश्योरेंस नई पॉलिसी खरीद में सालाना आधार पर करीब 2.5 गुना बढ़ा, जबकि प्रीमियम कलेक्शन में लगभग 200% की वृद्धि दर्ज की गई। यह बढ़त पेट्रोल और डीज़ल वाहनों की तुलना में कहीं अधिक रही। रिपोर्ट के मुताबिक, इसका कारण न सिर्फ EV अपनाने की बढ़ती रफ्तार है, बल्कि बैटरी सिस्टम और एडवांस्ड टेक्नोलॉजी से जुड़े ऊंचे औसत प्रीमियम भी हैं।
वित्तीय वर्ष 26 (FY26) में उपभोक्ताओं के इंश्योरेंस खरीद व्यवहार में भी स्पष्ट बदलाव देखा गया। ग्राहक अब मोटर इंश्योरेंस को केवल कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि जोखिम सुरक्षा उत्पाद के रूप में देखने लगे हैं।
रोडसाइड असिस्टेंस और ज़ीरो डेप्रिसिएशन जैसे ऐड-ऑन कवर सबसे अधिक लोकप्रिय रहे। इसके अलावा इंजन प्रोटेक्टर, कंज़्यूमेबल्स और की/लॉक रिप्लेसमेंट जैसे कवर की मांग मध्यम स्तर पर रही, जबकि रिटर्न टू इनवॉइस कवर अब भी सीमित ग्राहकों तक ही सिमटा रहा।
यह सुरक्षा-केंद्रित रुझान खास तौर पर नई गाड़ियों के खरीदारों में अधिक दिखाई दिया, जहां पॉलिसी खरीदते समय ही ऐड-ऑन कवर जोड़ने की दर काफी ऊंची रही।
क्षेत्रीय स्तर पर, वित्तीय वर्ष 26 (FY26) में महाराष्ट्र में मोटर इंश्योरेंस की सबसे अधिक मांग दर्ज की गई, इसके बाद उत्तर प्रदेश और दिल्ली का स्थान रहा। इन राज्यों का कुल पॉलिसी खरीद में बड़ा योगदान रहा।
वाहनों की पसंद की बात करें तो SUVs नई कार इंश्योरेंस खरीद में सबसे आगे रहीं। रिपोर्ट में कॉम्पैक्ट और मिड-साइज़ SUVs की ओर झुकाव को रेखांकित किया गया है, जिनमें अधिक फीचर्स शामिल होते हैं। वहीं, हाई-वॉल्यूम हैचबैक कारें अभी भी देश के कुल बीमित वाहन बेस का बड़ा हिस्सा बनी हुई हैं। दोपहिया सेगमेंट में कम्यूटर मोटरसाइकिल और स्कूटर इंश्योरेंस वॉल्यूम के मुख्य स्रोत बने रहे।
वित्तीय वर्ष 26 में पे-एज़-यू-ड्राइव जैसी यूसेज-लिंक्ड पॉलिसियों की स्वीकार्यता भी बढ़ी। अनुमान के मुताबिक, 15–20% ग्राहकों ने इस तरह की पॉलिसी अपनाई, खास तौर पर शहरी ड्राइवर्स ने, जिनकी वार्षिक ड्राइविंग कम होती है। ये ग्राहक आमतौर पर 7,500–8,500 किमी प्रति वर्ष वाहन चलाते हैं और उन्हें पारंपरिक कम्प्रिहेंसिव पॉलिसियों की तुलना में 25–30% तक की बचत मिली।
रिपोर्ट के अनुसार, FY26 भारतीय मोटर इंश्योरेंस सेक्टर के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ है। ईवी की बढ़ती पैठ, ऐड-ऑन कवर्स की ऊंची मांग, डेटा-ड्रिवन अंडरराइटिंग और यूसेज-बेस्ड प्राइसिंग मॉडल्स मिलकर उत्पाद डिज़ाइन और उपभोक्ता अपेक्षाओं को नया आकार दे रहे हैं। आने वाले वर्षों में, जैसे-जैसे मोबिलिटी पैटर्न और वाहन तकनीकें विकसित होंगी, यह बदलाव और गहराने की उम्मीद है।