किसी देश की गुणवत्ता उसमें मौजूद प्रतिभा पर निर्भर करती है। भारत में मौजूद अपार संभावनाओं को देखते हुए, माइक्रोसॉफ्ट देश में कुशल प्रतिभाओं को सशक्त बनाने के लिए भारी निवेश कर रहा है। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने आज नई दिल्ली में माइक्रोसॉफ्ट के नेतृत्व को संबोधित करते हुए कहा "इसके लिए हम जनवरी 2025 की अपनी प्रतिबद्धता को दोगुना कर रहे हैं, जिसके तहत हम 2030 तक 2 करोड़ भारतीयों को आवश्यक एआई कौशल से लैस करेंगे और सरकार, उद्योग और डिजिटल सार्वजनिक प्लेटफार्मों के साथ मिलकर अवसरों तक समान पहुंच सुनिश्चित करेंगे।"
माइक्रोसॉफ्ट ने 17.5 अरब डॉलर का निवेश किया है, जो एशिया में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। नडेला का कहना है कि इस मिशन का उद्देश्य देश के प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक संगठन को अधिक उपलब्धियां हासिल करने में सक्षम बनाना है।
माइक्रोसॉफ्ट एलिवेट द्वारा संचालित अपनी ADVANTA(I)GE इंडिया पहल के माध्यम से, कंपनी ने जनवरी 2025 से अब तक 5.6 मिलियन लोगों को प्रशिक्षित किया है, जो 2030 तक 10 मिलियन लोगों को प्रशिक्षित करने के मूल लक्ष्य से काफी आगे है। सीईओ ने कहा "ये कार्यक्रम केवल सीखने तक सीमित नहीं हैं। ये वास्तविक आर्थिक प्रभाव पैदा कर रहे हैं, जिससे 125,000 से अधिक व्यक्तियों को रोजगार या उद्यमशीलता के अवसर मिले हैं।"
नडेला के लिए, सफलता का सबसे बड़ा सूचक तकनीकी प्रसार की दर है। उन्हें विश्वास है कि भारत में वेब, पीसी, क्लाउड और अब एआई तक प्रत्येक युग में तकनीकी प्रसार की दर समान रहेगी, "पिछले प्रत्येक युग में प्रसार की दर समान थी।"
उन्होंने जोर देते हुए कहा "नई तकनीक को अपनाना नई तकनीक विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण है और कूटनीति बनाए रखना अनिवार्य है।" नडेला ने कहा कि कंपनी न केवल बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रही है, बल्कि संप्रभुता नियंत्रणों को ध्यान में रखते हुए ऐसा कर रही है। उन्होंने कहा "संप्रभुता महत्वपूर्ण है क्योंकि हर कोई अपने डेटा पर नियंत्रण सुनिश्चित करना चाहता है, और हम कई विकल्प विकसित कर रहे हैं। सवाल यह है कि संप्रभुता और साइबर सुरक्षा में संतुलन कैसे बनाए रखा जाए।“
भारत में की गई घोषणाएं एक ऐसे इकोसिस्टम के निर्माण के बारे में हैं जो सभी के लिए नवाचार, विश्वास और अवसर को बढ़ावा देता है। अतिस्तरीय अवसंरचना का विस्तार करके, राष्ट्रीय प्लेटफार्मों में एआई को एकीकृत करके और कार्यबल की तैयारी को उन्नत करके भारत एआई युग में विश्व का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। वहीं यह सब व्यापकता, कौशल विकास और संप्रभुता द्वारा संचालित है।
यह नया निवेश देश के क्लाउड और एआई बुनियादी ढांचे, कौशल विकास और चल रहे परिचालन को आगे बढ़ाने के लिए है। यह निवेश इस वर्ष की शुरुआत में घोषित 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश पर आधारित है। अब यह एआई बनाम मनुष्य की लड़ाई नहीं रही। अब यह एआई की यात्रा में मनुष्यों को वापस शामिल करने की लड़ाई है!
लिंक्डइन की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में पेशेवरों का एक महत्वपूर्ण प्रतिशत निकट भविष्य में अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहता है। एआई को अपनाना, कौशल विकास की प्रबल इच्छा और विश्वसनीय पेशेवर नेटवर्क की शक्ति जैसे कारक उनके लिए अपना व्यवसाय शुरू करना और उसे बढ़ाना आसान बना रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि "भारत के छोटे व्यवसायों के लिए एआई रोजमर्रा के कामकाज का अभिन्न अंग बनता जा रहा है। यहां के 82 प्रतिशत एसएमबी नेताओं का कहना है कि इसने व्यवसाय शुरू करना और चलाना आसान बना दिया है, और 97 प्रतिशत पहले से ही किसी न किसी रूप में इसका उपयोग कर रहे हैं। 83 प्रतिशत के लिए, एआई व्यवसायिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हो गया है।" यह एआई के युग में कौशल विकास की बढ़ती मांग को दर्शाता है।
ऐसा लगता है कि हर दिन कोई न कोई नया एआई टूल सुर्खियां बटोर रहा है। वास्तव में इस साल ही हजारों नए एआई-संचालित ऐप्स और प्लेटफॉर्म लॉन्च हुए हैं, जो हमारे काम करने, सृजन करने और समस्याओं को हल करने के तरीकों को बदल रहे हैं। 2030 तक अधिकांश नौकरियों में उपयोग किए जाने वाले 70 प्रतिशत कौशल बदल जाएंगे, जिसमें एआई एक उत्प्रेरक के रूप में उभरेगा।
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया और दक्षिण एशिया के चेयरमैन पुनीत चंदोक ने कहा "एआई के कारण किसी की नौकरी नहीं जाएगी, लेकिन जो एआई सीखने और अपने कौशल को बढ़ाने से इनकार करेगा, उसे नुकसान उठाना पड़ेगा।" इसके साथ ही दुनिया को असीमित जानकारी मिलेगी, ऐसे में कारोबार को कैसे नया रूप दिया जाएगा? मानव-नेतृत्व वाली, एजेंट-संचालित अग्रणी कंपनियां मौजूद हैं। हमें डिजिटल सहयोगियों को नियुक्त करना होगा, एजेंट फैक्ट्रियां बनानी होंगी। चंदोक ने आगे कहा "भारत एआई के लिए डिजिटल मार्ग प्रशस्त कर रहा है और एआई को कक्षाओं से लेकर बोर्डरूम तक फैला रहा है। एआई कौशल ही एकमात्र ऑक्सीजन मास्क है जिसकी हमें जीवित रहने के लिए आवश्यकता है।“
जैसा कि अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था "बुद्धिमत्ता का माप परिवर्तन करने की क्षमता है और एआई के साथ इस प्रतिस्पर्धा में हमें ठीक यही करने की आवश्यकता है: नवाचार करें, कौशल बढ़ाएं और इसे दोहराएं!