शिक्षा और उद्योग को जोड़कर छात्रों को वैश्विक रोजगार बाजार के लिए तैयार करना

शिक्षा और उद्योग को जोड़कर छात्रों को वैश्विक रोजगार बाजार के लिए तैयार करना

शिक्षा और उद्योग को जोड़कर छात्रों को वैश्विक रोजगार बाजार के लिए तैयार करना
विश्वविद्यालयों ने रोजगार हेतु शिक्षा को वास्तविक दुनिया के कौशलों से जोड़ना शुरू कर दिया है। शिक्षा प्रणाली का ध्यान अब एकेडमिक एक्सीलेंस को उद्योग की मांग और कौशल अपनाने के साथ एकीकृत करने पर केंद्रित हो गया है।


आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में शिक्षा उद्योग से अलग नहीं है, वैश्विक रोजगार बाजार में निरंतर विकास स्थिरता, स्वचालन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से प्रेरित है। विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक पूरी दुनिया के 50% से अधिक कर्मचारियों को नए कौशल की आवश्यकता होगी। भर्ती की पुरानी पद्धति के बजाय उद्योग अब डिग्री के बजाय कौशल को प्राथमिकता देते हैं, वे डिग्री के महत्व को समझते हैं लेकिन व्यावहारिक कार्यों, अनुकूलनशीलता और परिणाम देने के लिए कौशल की आवश्यकता होती है।

इस बदलाव को समझते हुए विश्वविद्यालयों ने शिक्षा को रोजगार के लिए व्यावहारिक कौशल से जोड़ा है। शिक्षा प्रणाली का मुख्य उद्देश्य अकादमिक उत्कृष्टता को उद्योग की मांग और कौशल अनुकूलन के साथ एकीकृत करना है। पिछले कुछ वर्षों से छात्रों के लिए सैद्धांतिक ज्ञान ही मुख्य केंद्र रहा है।

हालांकि अब उद्योग ऐसे स्नातकों की तलाश कर रहे हैं जिनके पास व्यावहारिक कौशल, अनुभव और आलोचनात्मक सोच की क्षमता हो। शिक्षा और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच का अंतर अक्सर पुराने पाठ्यक्रम और व्यावहारिक ज्ञान की कमी के कारण होता है। इसके लिए उद्योग-आधारित आधुनिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

वैश्विक रोजगार परिदृश्य में बदलाव

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्वास्थ्य सेवा और सतत ऊर्जा जैसे उभरते क्षेत्रों में कुशल, समस्या-समाधान करने वाले और रचनात्मक पेशेवरों की आवश्यकता है। वर्तमान में उद्योग उन्नत तकनीकी उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं और उन्हें संभालने में सक्षम पेशेवरों की तलाश कर रहे हैं। स्वचालन ने उद्योगों द्वारा लोगों को नियुक्त करने के तरीके को बदल दिया है, अब कंपनियां ऐसे पेशेवरों की तलाश कर रही हैं जो डिजिटल परिवर्तन में योगदान दे सकें।

इसके साथ ही अनुसंधान, कला, प्रबंधन और आतिथ्य सत्कार जैसे विभिन्न विभाग न केवल शिक्षा पर बल्कि उद्योग में आवश्यक प्रमुख कौशल विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं, जो आपको वास्तविक दुनिया के लिए तैयार करते हैं। ये कौशल अंतरराष्ट्रीय अवसरों के द्वार खोलने में भी सहायक होते हैं। वैश्विक बाजार में शैक्षणिक पृष्ठभूमि की तुलना में कौशल को अधिक महत्व दिया जाता है। यह पूरी तरह से उम्मीदवार की क्षमताओं पर आधारित होता है। बहुविषयक और व्यावहारिक शिक्षा वैश्विक अवसरों की नींव रखती है।

सीमाओं से परे सीखना

विश्वभर के आधुनिक विश्वविद्यालय लगातार विकसित हो रहे हैं, सांस्कृतिक बदलावों, नवाचार और तकनीकी प्रगति को अपनाते हुए छात्रों को वैश्विक कार्यबल की मांगों के लिए तैयार कर रहे हैं।

  • वैश्विक अनुभव: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विनिमय कार्यक्रमों और वैश्विक साझेदारियों के माध्यम से, छात्रों को विश्व बाजार और ग्लोबल वर्क-प्लेस की समझ प्राप्त होती है।
  • उद्यमिता इकोसिस्टम: नवाचार और उद्यमिता मंच छात्रों को उनके भविष्योन्मुखी विचारों को वास्तविकता में बदलने में मदद करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। यह भारत की 'स्टार्टअप इंडिया' पहल का भी समर्थन कर रहा है।
  • सीमाओं से परे सीखना: अब संस्थान यह सुनिश्चित करते हैं कि छात्रों को केवल पाठ्यपुस्तकों से प्राप्त ज्ञान से कहीं अधिक सीखने को मिले। उन्हें व्यवसाय और तकनीक का वास्तविक दुनिया का ज्ञान प्रदान किया जाता है।

पाठ्यक्रम में उद्योग से जुड़े अनुभव को शामिल करना

कई संस्थानों ने शिक्षा को उद्योग के ज्ञान से जोड़ा है। छात्रों को व्यावहारिक शिक्षण वातावरण प्रदान करने के लिए, विश्वविद्यालय व्यावहारिक अनुभव सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कदम उठाता है।

  • उद्योग समर्थित प्रयोगशालाएं: विश्व भर के परिसर उद्योग समर्थित प्रयोगशालाए विकसित कर रहे हैं जो छात्रों को नई उन्नत तकनीकों का अनुभव करने का अवसर प्रदान करती हैं। कॉर्पोरेट साझेदारियाँ व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करने में सहायक होती हैं।
  • हैकथॉन और लाइव प्रोजेक्ट: हैकथॉन जैसी गतिविधियाँ समस्या-समाधान कौशल को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई हैं। ये छात्रों को कक्षा से बाहर ले जाती हैं और उन्हें नए कौशलों के साथ प्रयोग करने का अवसर देती हैं।
  • इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप: रणनीतिक सहयोग और साझेदारी छात्रों को अपनी शिक्षा पूरी करने से पहले ही विभिन्न अवसर प्रदान करती है, जिससे उन्हें अपने करियर की शुरुआत के लिए कार्य अनुभव मिलता है।

शिक्षण और पाठ्यक्रम डिजाइन की पुनर्कल्पना

आधुनिक शिक्षण संस्थान संवादात्मक अधिगम और परिणामोन्मुखी शिक्षा में विश्वास रखते हैं , जो छात्रों को उनके भविष्य के लिए तैयार करती है।

  • अंतःविषयक पाठ्यक्रम: ये गतिविधियां वास्तविक दुनिया की जटिलताओं को सिखाने के लिए बनाई गई हैं। तकनीक, प्रबंधन और सामाजिक विज्ञान के संयोजन से, ये छात्रों को कार्यस्थल के लिए तैयार करती हैं।
  • अनुसंधान का एकीकरण: अनुसंधान और प्रचार केंद्र सीखने और सहयोग की पद्धतियों पर आधारित हैं।
  • संकाय सदस्यों का सतत विकास: संकाय सदस्यों का उद्योग जगत के नेताओं के साथ संवाद ताकि उन्हें बाजार में प्रासंगिक नवीनतम कौशल, उपकरण और प्रौद्योगिकियों से अवगत रखा जा सके।
  • परियोजना-आधारित अधिगम: एक शैक्षिक उपलब्धि के साथ, छात्र ऐसी परियोजनाओं में संलग्न होते हैं जो उनके कौशल और ज्ञान को आकार देती हैं। कार्यशालाओं और केस स्टडी के माध्यम से, वे रचनात्मक सोच सीखते हैं।

इस दृष्टिकोण का उद्देश्य छात्रों को एक नए और नवोन्मेषी तरीके से तैयार करना है। इससे स्नातक अपने जीवन में अगला कदम उठाने के लिए तैयार होते हैं।

उद्योगों की भूमिका

कंपनियां समझती हैं कि किसी गैर-पेशेवर और अकुशल व्यक्ति को काम पर रखने से उन्हें प्रशिक्षण लागत और समय का नुकसान हो सकता है। वे ऐसे पेशेवरों की तलाश में हैं जो इस कार्यबल में शामिल होने के लिए तैयार हों। सलाहकार बोर्ड, अतिथि व्याख्यानों और सहयोगात्मक गतिविधियों के माध्यम से संस्थान पाठ्यक्रमों को छात्रों के लिए प्रासंगिक बनाते हैं।

उदाहरणों में निम्नलिखित के साथ सहयोग शामिल है:

  • दवाओं के अनुसंधान और विकास के लिए कार्यरत एक दवा कंपनी।
  • व्यावहारिक सेवा प्रबंधन इंटर्नशिप के लिए आतिथ्य सत्कार
  • एआई मॉडल और डेटा विश्लेषण के प्रशिक्षण के लिए प्रौद्योगिकी कंपनियां

 वैश्विक दक्षता और सॉफ्ट स्किल्स का विकास

आज का विकसित बाजार केवल तकनीकी कौशल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह अन्य कौशलों के साथ-साथ सहज कौशलों पर भी उतना ही ध्यान देता है। भर्तीकर्ता प्रासंगिक संचार, अनुकूलनशीलता और टीम वर्क कौशल की तलाश करते हैं। संस्थानों ने कार्यशालाओं, नेतृत्व प्रशिक्षण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से इन कौशलों को अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है। मनोविज्ञान में बीएससी और एमएससी जैसे कार्यक्रमों के साथ लिबरल आर्ट्स स्कूल छात्रों के बीच पारस्परिक संचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह अंतर-सांस्कृतिक जुड़ाव को प्रोत्साहित करता है जो छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय अवसरों के लिए तैयार करता है। संस्थान अपने विभिन्न साधनों के माध्यम से इस प्रतिस्पर्धी बाजार के लिए आवश्यक वैश्विक मानसिकता, कौशल और चरित्र विकास को शामिल करते हैं।

नीति और सरकारी समर्थन

भारत की नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) में शिक्षा और व्यावहारिक शिक्षा को साथ-साथ चलाने पर जोर दिया गया है। संस्थान ने शुरू से ही इन सिद्धांतों को अपनाया है। एनईपी 2020 के अनुरूप अपनी संरचना को ढालते हुए, कई संस्थानों ने सरकारी पहलों की दिशा में प्रयास किए हैं। डॉ. डी. वाई. पाटिल यूनिटेक सोसाइटी द्वारा संचालित ज्ञान प्रसाद ग्लोबल यूनिवर्सिटी (डीपीजीयू) अपने शिक्षा और प्रबंधन ढांचे को ढालकर राष्ट्रीय कौशल विकास पहल, डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप कार्यक्रमों तथा राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजनाओं का समर्थन करती है।

एडटेक और हाइब्रिड लर्निंग का लाभ उठाना

महामारी के बाद की दुनिया ने छात्रों के सूचना प्राप्त करने के तरीके को बदल दिया है। संस्थानों ने भी एडटेक और हाइब्रिड लर्निंग को अपनाया है। डिजिटल प्लेटफॉर्म की प्रगति सीमाओं से परे शिक्षा सुनिश्चित करती है। वैश्विक मानकों को पूरा करने के लिए, संस्थानों ने ऑनलाइन पाठ्यक्रम, एआई-आधारित मूल्यांकन और अंतरराष्ट्रीय एमओओसी (लघु एवं मध्यम पाठ्यक्रम) शुरू किए हैं। यह दृष्टिकोण आज के कुशल और उन्नत कार्यबल की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है।

वैश्विक प्रेरणा

शिक्षा प्रणाली को आगे बढ़ाने और उसमें नवाचार लाने के लिए संस्थान स्टैनफोर्ड-सिलिकॉन वैली मॉडल, सिंगापुर के स्किल फ्यूचर प्रोग्राम और जर्मनी की दोहरी शिक्षा प्रणाली जैसे वैश्विक शिक्षा दृष्टिकोण से प्रेरणा ले रहे हैं।

शैक्षिक मॉडल

करियर में सफलता का मापन केवल अंकों से नहीं होता, यह परिणामों और नवाचारों पर भी निर्भर करता है। शैक्षणिक संस्थान भर्ती एजेंसियों के साथ साझेदारी करके प्रौद्योगिकी, प्रबंधन, अनुसंधान, आतिथ्य सत्कार, स्वास्थ्य सेवा और उद्यमिता जैसे विभिन्न क्षेत्रों में करियर के अवसर प्रदान करते हैं। यह उन छात्रों को स्टार्टअप और अनुसंधान परियोजनाएं विकसित करने में सहायता करता है जो कॉर्पोरेट करियर के अवसरों की तलाश में होने के बावजूद किसी विशिष्ट क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उत्सुक हैं। अपने सहायक शैक्षणिक परिवेश के माध्यम से, संस्थान सामाजिक प्रभाव और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देते हैं।

छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करना

भविष्य में काम करने के लिए विशेषज्ञता से कहीं अधिक कौशल और अनुकूलन क्षमता की आवश्यकता है। जैसे-जैसे एआई उन्नत होता जा रहा है, छात्रों को इसके उपयोग और पूर्ण कार्यान्वयन को समझना भी आवश्यक हो रहा है। भविष्य में जिन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा वे हैं:

  • सतत विकास और हरित नवाचार: विश्वविद्यालय सतत विकास को अपने शिक्षण और जमीनी गतिविधियों में एक प्रमुख केंद्र बिंदु के रूप में शामिल कर रहे हैं। व्यवसाय भी सतत विकास की दिशा में अधिक कदम उठा रहे हैं। सतत विकास प्रथाओं में पारंगत छात्र उद्योग में तेजी से विकास करते हुए सफलता प्राप्त करेंगे।
  • उद्यमशीलता की सोच: तेजी से हो रहे परिवर्तन और प्रगति के इस दौर में, उद्यमशीलता छात्रों के लिए एक आवश्यक कौशल बन गया है। परियोजना-आधारित शिक्षा, सहयोग और रचनात्मक सोच को बढ़ावा देकर, शिक्षण संस्थान छात्रों को करियर विकास के लिए उद्यमशीलता की ओर प्रेरित कर रहे हैं।
  • डेटा साइंस और एनालिटिक्स: मार्केटिंग, बिजनेस मैनेजमेंट और पत्रकारिता जैसे विभिन्न क्षेत्रों में डेटा और पैटर्न की व्याख्या करने की क्षमता रखने वाले विश्लेषणात्मक कौशल से प्रशिक्षित छात्रों की आवश्यकता होती है। यह भविष्य के कार्यक्षेत्र में एक आशाजनक क्षेत्र के रूप में उभर रहा है।

विश्वविद्यालय परिसर से लेकर कॉर्पोरेट जगत तक, आधुनिक शिक्षा यह सुनिश्चित करती है कि ज्ञान उद्योग के अनुप्रयोगों और वैश्विक अवसरों से जुड़ा रहे। उद्योग-केंद्रित पाठ्यक्रम, वैश्विक साझेदारी और नवाचार-केंद्रित वातावरण के माध्यम से, विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करते हैं कि छात्र न केवल रोजगार योग्य हों, बल्कि भविष्य के लिए भी तैयार हों। उच्च शिक्षा संस्थान छात्रों को अनुकूलनीय, कुशल और वैश्विक स्तर पर सक्षम पेशेवरों में बदलने के लिए अपनी रणनीति को पुनर्परिभाषित करने की दिशा में अग्रसर हैं।



प्रकाशित लेख -डॉ. सोमनाथ पी. पाटिल, (प्रो-चांसलर, ज्ञान प्रसाद ग्लोबल यूनिवर्सिटी, डॉ. डी. वाई. पाटिल यूनीटेक सोसाइटी) द्वारा लिखा गया है,जो कि उनके व्यक्तिगत विचारों पर आधारित है।)

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