वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि 25,060 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) के लिए दिशानिर्देश अगले सप्ताह जारी किए जाएंगे, जिसमें योजना के घटकों और उद्योग के लिए लाभों की रूपरेखा दी जाएगी।
12 नवंबर को स्वीकृत, ईपीएम 2025-26 से शुरू होकर छह वर्षों तक चलेगा और इसका उद्देश्य भारतीय निर्यातकों को अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ वृद्धि से निपटने में मदद करना है। यह मिशन दो उप-योजनाओं के माध्यम से संचालित होगा, वित्तीय सहायता के लिए निर्यात प्रोत्साहन (₹10,401 करोड़) और बाज़ार विकास एवं गैर-वित्तीय सहायता के लिए निर्यात दिशा (₹14,659 करोड़)।
इस संदर्भ में गोयल ने कहा, ‘‘निर्यात संवर्धन मिशन के लिए दिशानिर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगे मुझे लगता है कि इसके तत्वों और उद्योग को इससे कैसे लाभ हो सकता है, सहित विवरण अगले सप्ताह जारी किए जाएंगे।’’
यह कार्यक्रम हाल ही में वैश्विक टैरिफ वृद्धि से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों—वस्त्र, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पादों को प्राथमिकता देगा। ये श्रेणियां अमेरिकी बाजार में खास तौर पर प्रभावित हुई हैं, जहां 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर अचानक 50% टैरिफ लगाने के बाद अक्टूबर में भारत का व्यापारिक निर्यात 8.58% घटकर 6.3 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया।
गोयल ने कहा कि निर्यात में गिरावट "तीन-चार क्षेत्रों" तक सीमित है और सरकार साथ ही विविधीकरण के प्रयासों को भी आगे बढ़ा रही है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने यूरोपीय संघ द्वारा समुद्री उत्पादों के निर्यात के लिए 108 अतिरिक्त भारतीय मत्स्य इकाइयों को मंजूरी दिए जाने का जिक्र किया, जबकि रूस 25 इकाइयों को मंजूरी दे रहा है और एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल 5 दिसंबर को भारत आने वाला है।
गोयल इस समय द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने के अवसर तलाशने के लिए 60 सदस्यीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए इजरायल में हैं। निर्यात प्रोत्साहन के तहत एमएसएमई को किफायती व्यापार वित्त साधनों के व्यापक समूह तक पहुंच प्राप्त होगी, जिसमें ब्याज अनुदान, निर्यात फैक्टरिंग, संपार्श्विक गारंटी, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड और नए बाजारों में प्रवेश के लिए ऋण वृद्धि शामिल है। निर्यात दिशा वैश्विक ब्रांडिंग, पैकेजिंग, व्यापार मेलों में भागीदारी, निर्यात भंडारण, अंतर्देशीय परिवहन प्रतिपूर्ति, रसद सहायता और क्षमता निर्माण पहलों के माध्यम से निर्यातकों का समर्थन करेगी।
भारत का समग्र निर्यात प्रदर्शन दबाव में बना हुआ है। अक्टूबर में निर्यात 11.8% घटकर 34.38 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया, जबकि आयात 16.63% बढ़कर 76.06 अरब अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। यह वृद्धि मुख्य रूप से सोने, चांदी, कपास अपशिष्ट, उर्वरकों और सल्फर की रिकॉर्ड खरीदारी के कारण हुई। मासिक व्यापार घाटा बढ़कर रिकॉर्ड 41.68 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
अप्रैल-अक्टूबर 2025 के दौरान निर्यात 0.63% बढ़कर 254.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि आयात 6.37% बढ़कर 451.08 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जिससे व्यापारिक व्यापार घाटा बढ़कर 196.82 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो एक वर्ष पहले 171.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
प्रमुख श्रेणियों में इंजीनियरिंग सामान और वस्त्र से लेकर फार्मास्यूटिकल्स, प्लास्टिक, हस्तशिल्प, चाय, चावल और मसालों तक में अक्टूबर में भारी गिरावट देखी गई, जो अमेरिकी टैरिफ कार्रवाई से उत्पन्न व्यापक दबाव को दर्शाती है। वहीं गोयल आगे दोहराया, "अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 50% का भारी टैरिफ लगाया है और इससे हमारे निर्यात पर असर पड़ रहा है।" उन्होंने कहा कि सरकार इस प्रभाव को कम करने के लिए तेजी से कदम उठा रही है।