हाल के वर्षों में होटल उद्योग में अनुभव को सबसे ज्यादा महत्व मिलने लगा है। अब मेहमान सिर्फ कमरे या लोकेशन के लिए नहीं, बल्कि होटल में मिलने वाले अनुभव, खाने-पीने, सुविधाओं और सेवाओं के आधार पर निर्णय लेते हैं। साथ ही, सस्टेनेबिलिटी यानी टिकाऊ प्रथाओं को अपनाना भी अब एक अहम ट्रेंड बन गया है।
भारतीय हॉस्पिटैलिटी मार्केट का आकार अब 24.23 बिलियन USD है और यह 13.37% की दर से बढ़ रहा है। अनुमान है कि 2030 तक यह 45.39 बिलियन USD तक पहुंच जाएगा।
टेक्नोलॉजी का बढ़ता प्रभाव
AI, स्मार्ट डिवाइस, ऑटोमेशन और डेटा एनालिटिक्स ने होटलों में काम करने और अनुभव देने के तरीके को बदल दिया है। गेस्ट्स को पर्सनलाइज्ड सेवाएं, कॉन्टैक्टलेस चेक-इन और बेहतर कम्फर्ट अब डिजिटल टूल्स के जरिए मिल रहे हैं। Sofitel Mumbai की GM, नेहा छाबड़ा के अनुसार, टेक्नोलॉजी का उद्देश्य हॉस्पिटैलिटी को रोबोटिक बनाना नहीं, बल्कि ऑपरेशन्स को आसान और कुशल बनाना है।
होटल अब F&B डेस्टिनेशन बन गए हैं
आज होटल सिर्फ रहने की जगह नहीं, बल्कि खाने-पीने का अनुभव देने वाले डेस्टिनेशन बन गए हैं। JW Marriott Mumbai Sahar के GM, सचिन मायलवरापु ने बताया कि होटल अब ऐसे रेस्टोरेंट और बार बना रहे हैं जो सिर्फ गेस्ट्स के लिए नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों को भी आकर्षित करें। कोविड के दौरान कई अंडरपरफॉर्मिंग आउटलेट्स को इवेंट स्पेस में बदला गया और सोशल मीडिया के प्रभाव से रेस्टोरेंट को डेस्टिनेशन अनुभव के रूप में विकसित किया गया।
साझेदारी और फ्रेंचाइज़ मॉडल
Fairmont Hotels & Resorts Mumbai के GM, राजीव कपूर के अनुसार, होटल अब अपनी ब्रांड को फ्रेंचाइज़ रेस्टोरेंट्स और लोकल शेफ्स के साथ जोड़कर एक कुल मिलाकर बेहतर अनुभव दे रहे हैं। जैसे किसी इवेंट में होटल के आठों रेस्टोरेंट्स के स्वाद एक साथ उपलब्ध कराना।
आज के होटल में गेस्ट एक्सपीरियंस को यादगार बनाना सबसे अहम है। होटलों ने अपने अनुभव, टेक्नोलॉजी और F&B के जरिए यह सुनिश्चित किया है कि शहर में आने वाले लोग उसकी स्थानीय संस्कृति और स्वाद का असली अनुभव ले सकें।