हर कार की बनावट, उसकी कर्व्स, बॉडी लाइन और इंटीरियर एक कहानी कहता हैं और इस कहानी के पीछे होता है एक क्रिएटिव डिज़ाइनर का दिमाग। कार डिजाइन ऐसा क्षेत्र है जहाँ एक आइडिया को जन्म से लेकर तैयार रूप तक पहुँचाने वाला व्यक्ति होता है वही जो ग्राहक की पसंद समझता है, बाजार को पहचानता है और एक शानदार कलाकृति तैयार करता है।
आज इसी दुनिया का बड़ा नाम हैं प्रताप बोस, महिंद्रा एंड महिंद्रा के चीफ डिजाइन और क्रिएटिव ऑफिसर। बचपन से ही चीजों को समझने और उन्हें कैसे बनाया जाता है, ये जानने की जिज्ञासा उन्हें एक अलग रास्ते पर ले गई। मुंबई के ताज होटल के बाहर खड़ी नीली मर्सिडीज SEL देखकर उनके मन में सवाल उठे कि क्या कारों को भी कोई डिजाइन करता है और यहीं से उनके सफर की शुरुआत हुई।
बोस मानते हैं कि बिज़नेस और क्रिएटिविटी एक-दूसरे के पूरक हैं। उनके अनुसार डिजाइन तभी प्रभावी है जब वह बिज़नेस मॉडल से जुड़ा हो। इसका असर सीधे कंपनी की कमाई पर पड़ता है। इसका उदाहरण है महिंद्रा की स्पेशल Batman Edition, जिसकी 999 यूनिट्स सिर्फ 135 सेकंड में बिक गईं—डिजाइन और बिज़नेस की समझ का बेहतरीन मेल।
वे कहते हैं कि डिजाइनर्स को यह समझना चाहिए कि कंपनी में पैसा कैसे चलता है, और बिज़नेस टीम को डिजाइन की ताकत पहचाननी चाहिए। दुनिया के कई महान डिजाइनर जैसे डाइटर रैम्स, फ्रैंक गेहरी, बी.वी. दोषी और पीटर श्रेयर ने बोस की सोच को प्रभावित किया है। वे फैशन डिजाइनर्स विर्जिल अबलो और सब्यसाची जैसे लोगों से भी प्रेरणा लेते हैं।
बोस के अनुसार, एक अच्छा डिजाइनर वही है जो लोगों को ध्यान से देखे, उनकी अनकही जरूरतों को समझे और भविष्य की जरूरतों का अंदाजा लगा सके। ऑटो डिजाइन में उन्हें 4 से 12 साल आगे की सोचकर काम करना पड़ता है ताकि गाड़ी आने वाले समय में भी ग्राहकों को पसंद आए। वे कहते हैं—डिजाइन का मूल मंत्र है कल्पना, अवलोकन और सही समय। क्योंकि सही समय पर पेश किया गया डिजाइन ही सफलता दिलाता है।