इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते बाजार के साथ, अब उद्योग ली-आयन बैटरी को रीसायकल और फिर से उपयोग करने पर भी ध्यान दे रही हैं। गाज़ियाबाद की कंपनी मैक्सवोल्ट एनर्जी इंडस्ट्रीज ने दूहाई इंडस्ट्रियल एरिया में 55,000 वर्ग फीट जमीन खरीदी है, जहां वह नया उत्पादन और रीसाइक्लिंग प्लांट बनाएगी।
इस नए प्लांट के शुरू होने के बाद मैक्सवोल्ट की बैटरी उत्पादन क्षमता 72,000 यूनिट से बढ़कर 2.25 लाख यूनिट हो जाएगी। प्लांट दिसंबर 2025 तक चालू होने की उम्मीद है। कंपनी ने बैटरी टेक-बैक और रिपर्पजिंग प्रोग्राम भी शुरू किया है, ताकि पुरानी बैटरियों का उपयोग सोलर स्ट्रीटलाइट्स, पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य उपकरणों में किया जा सके।
मैक्सवोल्ट (Maxvolt Energy) के को-फाउंडर और सीएमओ मुकेश गुप्ता ने कहा, “हमारा मकसद ऐसा पूरा सिस्टम तैयार करना है, जिससे बैटरियों का कचरा कम हो और जरूरी रॉ मैटिरियल फिर से उपयोग किया जा सके। इससे भारत की अर्थव्यवस्था सस्टेनेबल बनेगी।”
गुप्ता ने कहा कि ईवी में बढ़ती डिमांड और सरकारी योजनाएं जैसे नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन बैटरी रीसाइक्लिंग और उत्पादन क्षमता बढ़ाने में सहायक हैं। हालांकि, अभी ली-आयन बैटरी सेल्स का अधिकांश हिस्सा चीन से आता है, जिससे रॉ मैटिरियल की उपलब्धता चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।
कंपनी ने पिछले वित्तीय वर्ष में 107 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया और वित्तीय वर्ष 26 में 120-130% की वृद्धि का लक्ष्य रखा है। गुप्ता ने बताया कि कंपनी अब मिडिल ईस्ट, अफ्रीका और यूरोप में विस्तार की योजना बना रही है, जहां ईवी और बैटरी की मांग तेजी से बढ़ रही है। मैक्सवोल्ट( का नया प्लांट न केवल बैटरी वेस्ट को कम करेगा, बल्कि भारत को नेट-ज़ीरो और सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में भी मदद करेगा।