टियर-2 और टियर-3 शहरों से बढ़ रही ई-कॉमर्स की रफ्तार

टियर-2 और टियर-3 शहरों से बढ़ रही ई-कॉमर्स की रफ्तार

टियर-2 और टियर-3 शहरों से बढ़ रही ई-कॉमर्स की रफ्तार
भारत में अब D2C ब्रांडों की वृद्धि मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं है; टियर-2 और टियर-3 शहर प्रमुख उपभोक्ता बाजार बनकर उभर रहे हैं।

भारत में अब डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्रांडों की वृद्धि सिर्फ मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रही। देश के टियर-2 और टियर-3 शहर अब नए उपभोक्ता बाजारों के सबसे बड़े चालक बनकर उभर रहे हैं। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, 2030 तक संगठित रिटेल में शामिल होने वाले 100 मिलियन नए ग्राहकों में से अधिकांश छोटे शहरों से आएंगे।

ई-रिटेल की रफ्तार भी छोटे शहर तय कर रहे हैं

Bain की रिपोर्ट कहती है कि 2024 में भारत का ई-रिटेल बाजार लगभग 60 अरब डॉलर का था, जो 2030 तक 170-190 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। वर्ष 2020 के बाद जुड़े हर पाँच में से तीन नए ऑनलाइन ग्राहक टियर-3 और उससे छोटे शहरों से हैं। डेलॉयट (Deloitte) का विश्लेषण भी यही दिखाता है,अब 60% से ज्यादा ई-कॉमर्स लेनदेन छोटे शहरों से होते हैं।

यह बदलाव क्यों आ रहा है?

भारत में 800-900 मिलियन लोग ऑनलाइन हैं। तेजी से बढ़ती आय, बड़ा होता मध्यम वर्ग और 400 अरब डॉलर तक प्रभाव डालने वाली क्रिएटर इकॉनमी इन सबने छोटे शहरों के उपभोक्ताओं को डिजिटल रूप से सशक्त कर दिया है। मेट्रो शहरों के मुकाबले इन शहरों में अभी भी बाज़ार कम संतृप्त हैं, इसलिए ग्रोथ की गति ज़्यादा है।

मिंटोआक के सीईओ रमण खंडूजा कहते हैं, “छोटे शहर अब सिर्फ उभरते हुए बाजार नहीं हैं, बल्कि देश की खपत के असली इंजन बन चुके हैं।” कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार, टियर-3 शहरों में घड़ियों और ज्वेलरी की डिजिटल खरीद में 77% की वृद्धि हुई है, जबकि किराना कैटेगरी में 59% बढ़त दर्ज की गई है।

डिजिटल पेमेंट अब आदत बन चुका है

खंडूजा बताते हैं, “छोटे शहरों में डिजिटल पेमेंट सुविधा से आगे बढ़कर भरोसा बन चुका है। व्यापारी आत्मविश्वास से डिजिटल लेन-देन कर रहे हैं और ग्राहक बार-बार खरीदारी कर रहे हैं।”

क्विक कॉमर्स भी अब सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं। Q-कॉमर्स कंपनियां 80 से अधिक टियर-2 और 3 शहरों में पहुंच चुकी हैं, जिससे ब्रांडों की पहुंच और डिलीवरी दोनों तेज हुई हैं। ब्रांड्स के लिए छोटे शहर बने सबसे बड़े अवसर D2C कंपनियों के लिए यह बदलाव बेहद स्पष्ट है।

Habanero Foods के संस्थापक ग्रिफिथ डेविड कहते हैं, “अगर कोई मुझसे 5 साल पहले पूछता कि हमारी सबसे तेज़ ग्रोथ कहाँ होगी, तो मैं मेट्रो शहरों का नाम लेता। पर असली मांग तो कोयंबटूर, इंदौर, मैसूर, विजाग जैसे शहरों से आ रही है।”

वे आगे बताते हैं कि अब कंपनियों को अपने वेयरहाउस, डिलीवरी और वितरण मॉडल छोटे शहरों के अनुसार बदलने पड़ रहे हैं।

छोटे शहरों के उपभोक्ता अब क्वालिटी और ब्रांड वैल्यू को प्राथमिकता दे रहे हैंBharat Vedica के एमडी अरविंद पटेल कहते हैं, “छोटे शहरों के ग्राहक पहले जितने सावधान थे, उतने ही समझदार भी हो गए हैं। वे अब साफ, अच्छे और भरोसेमंद उत्पाद चुन रहे हैं क्योंकि यह उनकी जीवनशैली से मेल खाता है।”

वे मानते हैं कि ये ग्राहक न केवल खरीदते हैं, बल्कि बार-बार उसी ब्रांड से खरीदते हैं, जिससे इन शहरों का बाजार लंबी अवधि में और भी मज़बूत बनता है।

भारत के D2C ब्रांडों के लिए आने वाला दशक मेट्रो शहर नहीं, बल्कि टियर-2 और टियर-3 भारत तय करेगा। ये शहर न सिर्फ बड़े हैं, बल्कि अधिक स्थिर, तेजी से बढ़ते और वफादार उपभोक्ता प्रदान करते हैं।

देश के अगले 100 मिलियन उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता इन्हीं शहरों से आने वाली है और ब्रांडों के लिए यही सबसे बड़ा अवसर है।

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