साल 2025 भारत के इलेक्ट्रिक वाहन सेक्टर के लिए एक निर्णायक वर्ष के रूप में उभरा है। यह वह साल रहा, जब ईवी इकोसिस्टम ने केवल शुरुआती विस्तार से आगे बढ़कर इंफ्रास्ट्रक्चर, वास्तविक उपयोग और बड़े पैमाने पर अपनाव की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए। सरकारी नीतियों, चार्जिंग नेटवर्क के तेज़ विस्तार, कमर्शियल फ्लीट्स में बढ़ते भरोसे और निजी कंपनियों की आक्रामक रणनीतियों ने मिलकर भारत की ग्रीन मोबिलिटी यात्रा को नई गति दी। इस लेख में 2025 में हुए प्रमुख विकासों, कंपनियों की उपलब्धियों और 2026 की दिशा में सेक्टर के संभावित कदमों पर विस्तार से नजर डालेंगे।
ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर पर स्टेटिक (Statiq) के सीईओ और फाउंडर अक्षित बंसल ने कहा "इस साल भारत के इलेक्ट्रिक वाहन सेक्टर ने काफी प्रगति की है। इस सेक्टर में तेजी का प्रमुख कारण सब्सिडी और इंसेंटिव जैसी स्मार्ट सरकारी नीतियों के साथ-साथ पूरे देश में स्वच्छ तथा साफ़ यातयात की तरफ लोगों का बढ़ता रुझान है। देश में पब्लिक चार्जिंग नेटवर्क की संख्या नवंबर 2025 तक 29,000 से ज़्यादा स्टेशनों तक पहुँच गई है। 2023 में ये चार्जिंग स्टेशन सिर्फ़ 6,586 स्टेशन थे। अब इस संख्या से चार गुना ज़्यादा चार्जिंग स्टेशन देश में हैं। इनमें से 4,577 से ज़्यादा चार्जिंग स्टेशन हाईवे पर योजना अनुसार से लगाए गए हैं। चार्जिंग स्टेशनों की यह संख्या ईवी प्रगति के लिए एक मज़बूत नींव बनी है। हालांकि ग्लोबल सप्लाई चेन की समस्याएँ और आर्थिक दबाव अभी भी बने हुए हैं। स्टेशनों की यह बढ़ोत्तरी इलेक्ट्रिक वाहनों को रोज़ाना गाड़ी चलाने वालों के लिए ज़्यादा सुलभ और व्यावहारिक बना दिया है, चाहे वह शहर में आना-जाना हो या लंबी दूरी की यात्राएँ, अब लोगों में गाड़ी की रेंज की चिंता कम हुई है। यही कारण है कि ज़्यादा लोग अब पेट्रोल गाड़ियों से ईवी पर स्विच करने के लिए प्रेरित हुए हैं।
स्टेटिक में हमने अपनी पहुंच को 100 शहरों तक बढ़ा दिया है, और अब हमारे पास 10,000 से ज़्यादा चार्जिंग स्टेशन हैं। 2025 में ही हमने 3,000 नए स्टेशन जोड़े हैं। ये स्टेशन व्यस्त शहरी केंद्रों और बढ़ते सेमी-अर्बन इलाकों में तेज़, भरोसेमंद पावर देते हैं, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों के मालिकों के बीच असली भरोसा बनाने में मदद मिलती है। हमारा यूज़र-फ्रेंडली ऐप, क्विक-चार्जिंग टेक्नोलॉजी और चौबीसों घंटे सपोर्ट ने लंबी यात्रा को तनाव-मुक्त रोमांच में बदल दिया है। इससे यह साबित होता है कि इलेक्ट्रिक कारें सुविधा के मामले में पेट्रोल और डीजल कारों का मुकाबला कर सकती हैं।
वर्ष 2026 में हम ऑटोमेकर्स और रियल एस्टेट डेवलपर्स के साथ साझेदारी करके चार्जिंग स्टेशनों की रियल-टाइम अवेलेबिलिटी (उपलब्धता), ऐप-बेस्ड पेमेंट और AI-ऑप्टिमाइज़्ड फास्ट चार्जिंग जैसे स्मार्ट फीचर्स वाले 20,000 एडवांस्ड चार्जर लगाने का लक्ष्य बनाए हुए हैं। ऐसा होने से गाड़ी को चार्ज करना उतना ही तेज़ और आसान हो जाएगा, जितना पेट्रोल पंप पर गाड़ी रोक कर पेट्रोल भरवाना आसान होता है। हमारा उद्देश्य स्पष्ट है कि हम टियर 1 मेट्रो, टियर 2 शहरों और यहाँ तक कि टियर 3 इलाकों में भी कम कीमत वाले, बड़े पैमाने पर ईवी चार्जिंग स्टेशनों को स्थापित करके भारत के बड़े ग्रीन मोबिलिटी बदलाव को बढ़ावा देके लाखों लोगों को एक साफ़-सुथरे भविष्य के लिए सस्टेनेबल ड्राइविंग अपनाने में मदद करना चाहते है।
वहीं बोल्ट.अर्थ ( Bolt.Earth) के सीईओ और संस्थापक एस. राघव भारद्वाज का मानना है कि “यह वर्ष भारत के इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इकोसिस्टम के लिए समेकन का चरण रहा, जहां शुरुआती अपनाने से आगे बढ़कर भरोसेमंद और रोज़मर्रा की चार्जिंग उपलब्धता पर ध्यान दिया गया है। बोल्ट.अर्थ में, हमारा नेटवर्क 1,800 शहरों और कस्बों में 1 लाख से अधिक चार्जर्स तक पहुंच गया है, जो भारत के पब्लिक चार्जिंग मार्केट का लगभग 63 प्रतिशत हिस्सा है।
हमने अपनी फास्ट-चार्जिंग सॉल्यूशंस के बढ़ते अपनाव को भी देखा है, जिनमें उच्च उपयोग वाले पब्लिक और कमर्शियल लोकेशंस के लिए Blaze DC और फ्लीट ऑपरेटर्स व हाई-थ्रूपुट कॉरिडोर्स के लिए Lightning DC शामिल हैं, जो अलग-अलग और तेजी से बढ़ती चार्जिंग जरूरतों को पूरा करते हैं।
हम वित्त वर्ष 2025 में 5 मिलियन डॉलर का राजस्व हासिल करने की दिशा में अग्रसर हैं और वित्त वर्ष 2026–27 तक लाभप्रदता की ओर निरंतर प्रगति कर रहे हैं। आवासीय परिसरों, कार्यस्थलों और कमर्शियल लोकेशंस में चार्जर होस्ट्स को सक्षम बनाने वाला हमारा मॉडल उपयोग दर और यूनिट इकनॉमिक्स में सुधार करने में मदद कर रहा है, जिससे ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर लगातार अधिक टिकाऊ बनता जा रहा है। आगे देखते हुए, अगला चरण फास्ट-चार्जिंग डेंसिटी को बढ़ाने और भारत में विभिन्न सेगमेंट्स में ईवी अपनाव के तेज़ होने के साथ, वार्षिक तैनाती को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने पर केंद्रित होगा।”
ज़ेनर्जाइज़(Zenergize) के इन्वेस्टर एंड स्ट्रैटेजी, डीप-टेक उद्यमी और एनर्जी ट्रांज़िशन उत्साही हिमांशु अग्रवाल ने कहा “2025 ने यह साफ कर दिया कि ईवी अब “दूर का भविष्य” नहीं, बल्कि वर्तमान बनते जा रहे हैं। इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर, बसें और अब ट्रक सभी पायलट प्रोजेक्ट्स से निकलकर वास्तविक स्केल पर पहुंच चुके हैं। हालांकि इस साल ने यह भी दिखाया कि केवल चार्जर्स की संख्या नहीं, बल्कि विश्वसनीयता, अपटाइम और भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप इंफ्रास्ट्रक्चर ही असली गेम-चेंजर हैं। 2026 की ओर बढ़ते हुए, स्वदेशी तकनीक और स्मार्ट एनर्जी मैनेजमेंट के साथ एक मज़बूत चार्जिंग बैकबोन तैयार करना अगला बड़ा लक्ष्य होगा।।”
ईवर्टा (EVERTA) के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर बेनी परिहार ने केंद्र और राज्य सरकारों की भूमिका को बेहद अहम बताते हुए कहा “केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सरकारी सपोर्ट भारत के ईवी चार्जिंग इकोसिस्टम को आकार देने में बेहद अहम रहा है। PM E-DRIVE जैसी पहल और प्रगतिशील राज्य ईवी नीतियों ने 2025 में इस सेक्टर को विस्तार से आगे बढ़ाकर क्रियान्वयन के चरण में पहुंचाया है। इस वर्ष EVERTA ने अपने मेड-इन-इंडिया हाई परफॉर्मेंस DC फास्ट चार्जर्स लॉन्च किए और बेंगलुरु में एक मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी स्थापित की। इससे कंपनी 2027 तक सालाना 3,000 चार्जर्स का उत्पादन करने और 2030 तक भारत के DC चार्जर बाजार में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने की स्थिति में आ गई है।
अब ध्यान केवल चार्जर्स की संख्या पर नहीं, बल्कि विश्वसनीयता, अपटाइम और वास्तविक उपयोगिता पर आ गया है खासतौर पर फ्लीट्स और अधिक उपयोग वाले कॉरिडोर्स के लिए। हालांकि DC फास्ट-चार्जर की तैनाती लगातार रफ्तार पकड़ रही है, लेकिन ग्रिड की तैयारी और मानकीकरण से जुड़ी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। आगे चलकर, भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप स्थानीयकरण और मेड-इन-इंडिया चार्जिंग समाधान ही भरोसेमंद विस्तार और बड़े पैमाने पर ईवी अपनाव को तेज़ करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
निष्कर्ष
साल 2025 ने भारत के इलेक्ट्रिक वाहन सेक्टर को एक नए स्तर पर पहुँचाया, जहाँ केवल विस्तार नहीं बल्कि भरोसेमंद इंफ्रास्ट्रक्चर, वास्तविक उपयोग और बड़े पैमाने पर अपनाव पर ध्यान केंद्रित किया गया। स्टेटिक, Bolt.Earth, Zenergize और EVERTA जैसी कंपनियों ने चार्जिंग नेटवर्क, फास्ट-चार्जिंग तकनीक और स्मार्ट फीचर्स के माध्यम से ईवी को सुलभ और टिकाऊ बनाया है। सरकारी नीतियों और स्थानीयकरण की मदद से ईवी सेक्टर ने अब दूर का भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान की वास्तविकता बनकर दिखाया है। वर्ष 2026 में इस सेक्टर के लिए चुनौती और अवसर दोनों बढ़ेंगे, लेकिन मजबूत रणनीतियों, स्वदेशी तकनीक और समेकित प्रयासों के साथ भारत ग्रीन मोबिलिटी के मार्ग पर और भी तेजी से आगे बढ़ सकता है।