सीजनल ड्रिंक्स से कैफे बिज़नेस को मिल रही नई रफ्तार

सीजनल ड्रिंक्स से कैफे बिज़नेस को मिल रही नई रफ्तार

सीजनल ड्रिंक्स से कैफे बिज़नेस को मिल रही नई रफ्तार
भारत में कैफे तेजी से सीजनल और लिमिटेड-एडिशन ड्रिंक्स को रेवेन्यू ग्रोथ टूल के रूप में अपना रहे हैं, जिससे फुटफॉल, औसत बिल वैल्यू और रिपीट विज़िट्स बढ़ रही हैं।

भारत में कैफे इंडस्ट्री में सीजनल और लिमिटेड-एडिशन ड्रिंक्स अब सिर्फ त्योहारों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि एक ठोस रेवेन्यू रणनीति के रूप में उभर रही हैं। इस फेस्टिव सीज़न में देशभर के कैफे पेपरमिंट, दालचीनी, जायफल और चॉकलेट जैसे फ्लेवर का उपयोग कर समय-सीमित बेवरेज मेन्यू लॉन्च कर रहे हैं। ऑपरेटर्स का कहना है कि ये ड्रिंक्स फुटफॉल बढ़ाने, प्रीमियम प्राइसिंग को सपोर्ट करने और रिपीट विज़िट्स में अहम भूमिका निभा रही हैं।

बेन्की कॉफ़ी (Benki Coffee) और बेनकी ब्रूइंग टूल्स (Benki Brewing Tools) के फाउंडर सुहास द्वारकानाथ के अनुसार, “लिमिटेड-टाइम ड्रिंक्स लॉन्च के दौरान फुटफॉल, एवरेज बिल वैल्यू और सोशल मीडिया एंगेजमेंट में साफ बढ़ोतरी देखी जाती है।” ग्लोबल स्तर पर भी यह ट्रेंड असरदार साबित हुआ है, जहां बड़े कैफे चेन सीजनल लॉन्च के दौरान 20–45 फीसदी तक फुटफॉल ग्रोथ दर्ज करते हैं।

स्टारबक्स का पंपकिन स्पाइस लाटे इसका बड़ा उदाहरण है, जिसे 2003 में लॉन्च किया गया था और आज यह सालाना करीब 500 मिलियन डॉलर का कारोबार करता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके लॉन्च के समय कई बाजारों में फुटफॉल 40 फीसदी तक बढ़ा। रिसर्च यह भी बताती है कि करीब दो-तिहाई ग्राहक लिमिटेड-टाइम ऑफर बिना पहले से खरीद की योजना के भी ट्राई करते हैं, जिससे कैफे की औसत बिल वैल्यू बढ़ती है।

भारतीय कैफे भी इसी मॉडल को स्थानीय स्वादों के साथ अपना रहे हैं। गोवा के अंजुना स्थित कैफे लिलिपुट के को-फाउंडर राजेंद्र सालगांवकर ने बताया कि फेस्टिव और सीजनल मेन्यू पीक सीज़न में 15–25 फीसदी तक रेवेन्यू बढ़ाने में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि ड्रिंक्स विज़ुअली आकर्षक होती हैं, जिससे नए ग्राहक जुड़ते हैं और पुराने ग्राहकों की वापसी होती है।

मल्टी-ब्रांड ऑपरेटर्स के लिए भी यह रणनीति कारगर साबित हो रही है। Coffee Mechanics और Kana के को-फाउंडर पवन हनबल के अनुसार, साल में तीन से चार सीजनल लॉन्च कुल वार्षिक बिक्री का करीब 10–12 फीसदी योगदान देते हैं। अक्टूबर से दिसंबर, वैलेंटाइन सीज़न और शुरुआती गर्मियों में इसका असर सबसे ज्यादा दिखता है।

हालांकि, ऑपरेटर्स का मानना है कि सीजनल ड्रिंक्स में संयम बेहद जरूरी है। ज्यादा आइटम्स लॉन्च करने से इन्वेंट्री वेस्टेज, ट्रेनिंग जटिलता और सप्लाई रिस्क बढ़ सकते हैं। इसलिए अधिकतर कैफे सीमित, क्यूरेटेड मेन्यू और साझा बेस इंग्रीडिएंट्स पर ध्यान दे रहे हैं।

अब इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव यह दिख रहा है कि कैफे सिर्फ बड़े त्योहारों पर निर्भर नहीं रह गए हैं, बल्कि मौसम, सांस्कृतिक मौकों और छोटे कंजम्प्शन साइकल्स से जुड़े माइक्रो-सीजनल लॉन्च की ओर बढ़ रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सही प्लानिंग, मजबूत स्टोरीटेलिंग और सख्त एग्ज़िट स्ट्रैटेजी के साथ सीजनल ड्रिंक्स कैफे बिज़नेस के लिए एक भरोसेमंद ग्रोथ टूल बन चुकी हैं।

Subscribe Newsletter
Submit your email address to receive the latest updates on news & host of opportunities