केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के तहत पांच साल बाद भारत में उच्च शिक्षा के लिए एकल नियामक प्राधिकरण के लिए एक मसौदा कानून पेश करने के लिए पूरी तरह तैयार है। जिसे अगले महीने शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। बता दें कि यह संसदीय समिति शिक्षण संबंधी पहलुओं, गतिविधियों और मौजूदा कानूनों की जांच करने के साथ-साथ भारतीय उच्च शिक्षा परिषद के गठन पर भी चर्चा कर रही है, जिसका उद्देश्य शैक्षिक परिदृश्य में सुधार लाना है।
इस संसदीय समिति ने खासतौर से तनाव के कारण छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के बीच प्रतियोगी परीक्षाओं में छात्रों की सहायता के लिए कोचिंग सेंटरों के ‘प्रसार’ और इससे उत्पन्न होने वाले सामाजिक मुद्दों की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी स्थायी समिति, एआई के प्रभाव और शिक्षा एवं विद्यार्थियों पर उभरती टेक्नोलॉजी के लाभ की भी जांच करेगी।
संसदीय समिति छात्रों की कैसे करेगी मदद?
हाल ही में लोकसभा बुलेटिन के अनुसार स्थायी समिति ने वर्ष 2025-26 के दौरान पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-श्री) की समीक्षा का भी निर्णय लिया है। बुलेटिन में कहा गया है कि पैनल प्रतियोगी परीक्षाओं में छात्रों की सहायता के लिए कोचिंग सेंटरों के प्रसार तथा इससे उत्पन्न होने वाले सामाजिक मुद्दों और इस मामले पर मौजूदा कानून की समीक्षा करेगा।
पिछले कुछ वर्षों में यह देखा गया है कि साल-दर-साल छात्रों द्वारा आत्महत्या के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जो बेहद चिंता का विषय है, जिनपर संसदीय समिति लगातार संज्ञान लेते हुए जांच-पड़ताल कर रही है।
पिछले कुछ वर्षों में छात्रों पर दबाव के कारण आत्महत्या के जो मामले सामने आए हैं, उनमें कई मामले अकेले राजस्थान के कोटा शहर के हैं, जिसे भारत की कोचिंग राजधानी के रूप में जाना जाता है। शिक्षा मंत्रालय ने इस वर्ष के प्रारंभ में प्रवेश परीक्षाओं की प्रभावशीलता और निष्पक्षता के अलावा कोचिंग और ‘डमी स्कूलों’ के उद्भव से संबंधित मुद्दों की जांच के लिए नौ सदस्यीय पैनल का गठन किया था।
समिति करेगी कोचिंग उद्योगों के विकास का अध्ययन
वर्तमान में यह संसदीय पैनल स्कूल शिक्षा प्रणाली के संदर्भ में प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं की प्रभावशीलता और निष्पक्षता तथा कोचिंग उद्योग के विकास पर उनके प्रभाव का अध्ययन कर रहा है। साथ ही वर्ष के दौरान संसदीय पैनल स्कूल बंद करने के संबंध में वर्तमान प्रथाओं और नीतियों की भी जांच करेगा।
लोकसभा सचिवालय के अनुसार यह संसदीय समिति राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के कामकाज और प्रदर्शन की समीक्षा करेगी तथा भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों की शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयासों की भी समीक्षा करेगी।
इसके अतिरिक्त यह संसदीय पैनल भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (HECI) बनाने के लिए शिक्षा मंत्रालय के प्रयासों का विवरण भी मांगेगा और उच्च शिक्षा नियामक की स्थापना के लिए एक विधेयक, जो यूजीसी जैसे निकायों का स्थान लेगा संसद के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत करने के लिए सूचीबद्ध है, जो 1 दिसंबर से शुरू होने वाला है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रस्तावित एचईसीआई, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) का स्थान लेगा। बता दें कि यूजीसी गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा की देखरेख करता है, एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा की देखरेख करता है, तथा एनसीटीई शिक्षक शिक्षा के लिए नियामक निकाय है। वहीं संसदीय समिति इंडोलॉजिकल शैक्षणिक परंपराओं के अध्ययन और वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर इसके प्रभाव की भी समीक्षा करेगी।