लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय उद्यमों की वैश्विक भागीदारी को बनाएगा आसान

लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय उद्यमों की वैश्विक भागीदारी को बनाएगा आसान

लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय उद्यमों की वैश्विक भागीदारी को बनाएगा आसान
मंत्रालय के अनुसार यह योजना पहली बार निर्यात करने वाले सूक्ष्म और लघु निर्यातकों को निर्यात संवर्धन परिषदों (EPC) के साथ पंजीकरण-सह-सदस्यता प्रमाणन (RCMC) निर्यात बीमा प्रीमियम और निर्यात के लिए परीक्षण व गुणवत्ता प्रमाणन पर वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) ने अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों,मेलों,खरीदार-विक्रेता बैठकों में एमएसएमई की यात्राओं व भागीदारी को सुविधाजनक बनाने, भारत में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों,संगोष्ठियों और कार्यशालाओं के आयोजन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु 'अंतरराष्ट्रीय सहयोग योजना' के कार्यान्वयन की घोषणा की है।

मंत्रालय के अनुसार यह योजना पहली बार निर्यात करने वाले सूक्ष्म एवं लघु निर्यातकों को निर्यात संवर्धन परिषदों (ईपीसी) के साथ पंजीकरण-सह-सदस्यता प्रमाणन (आरसीएमसी), निर्यात बीमा प्रीमियम और निर्यात के लिए परीक्षण एवं गुणवत्ता प्रमाणन पर वित्तीय सहायता प्रदान करती है। साथ ही, यह योजना लघु एवं लघु एवं मध्यम उद्यमों को प्रौद्योगिकी में बदलाव, मांग में परिवर्तन और नए बाजारों के उदय जैसी चुनौतियों का सामना करने और अपने कारोबार को बढ़ाने के अवसर प्रदान करने के लिए भी तैयार है।

मंत्रालय ने यह भी बताया कि "पिछले पांच वर्षों के दौरान 1361 लघु एवं मध्यम उद्यमों को इस योजना से लाभ हुआ है। " इसके अतिरिक्त, सरकार ने समग्र निर्यात इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए एक व्यापक ढांचा "निर्यात प्रोत्साहन मिशन (ईपीएम)" को भी मंजूरी दे दी है। यह मिशन वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 तक 25,060 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ निर्यात प्रोत्साहन के लिए एक व्यापक, लचीला और डिजिटल रूप से संचालित ढांचा प्रदान करने के लिए तैयार है।

इस मिशन के तहत 'निर्यात प्रोत्साहन' के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी, जो लघु एवं मध्यम उद्यम निर्यातकों के लिए व्यापार वित्त सुविधा पर केंद्रित है और 'निर्यात दिशा' के माध्यम से गैर-वित्तीय सहायक सुविधाएं प्रदान की जाएंगी जो बाजार की तैयारी और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाती हैं, जिनमें निर्यात गुणवत्ता और अनुपालन सहायता, अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग के लिए सहायता, व्यापार मेलों में भागीदारी, निर्यात भंडारण और रसद, अंतर्देशीय परिवहन प्रतिपूर्ति व व्यापार खुफिया और क्षमता निर्माण पहल शामिल हैं।

मंत्रालय के अनुसार, सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) का उद्देश्य क्लस्टर दृष्टिकोण अपनाते हुए लघु एवं लघु उद्यमों की समग्र विकास हेतु उनकी उत्पादकता और बाजार-तत्परता को बढ़ाना है। सरकार मौजूदा क्लस्टरों में साझा सुविधा केंद्र (सीएफसी) स्थापित करने और नए औद्योगिक क्षेत्र/एस्टेट/फ्लैटेड फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स स्थापित करने/मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों/एस्टेटों के उन्नयन के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रही है।

पिछले पांच वर्षों के दौरान, इस कार्यक्रम के माध्यम से 190 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें क्लस्टर विकास पहलों के तहत 82 कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) और 108 इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (आईडी) परियोजनाएं शामिल हैं।

मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के निर्यात में हाल के रुझान बताते हैं कि कुल माल निर्यात में इस क्षेत्र का योगदान 2023-24 में 45.74 प्रतिशत से बढ़कर 2024-25 में 48.55 प्रतिशत हो गया है (अमेरिकी डॉलर मूल्य के संदर्भ )।

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